व्यंग्य
नोटबन्दी और देह व्यापार में कमी
दर्शक
सच बोलने का एक फायदा यह भी होता है कि यह
याद नहीं रखना पड़ता कि किससे क्या कहा था।
किंतु बेशर्मी इससे भी ऊपर की चीज है वह
कहती है कि कहा था सो कहा था। कसमें वादे प्यार बफा सब बातें हैं बातों का क्या।
इसमें थोड़ा सा परिवर्तन करके आप जुमले कर सकते हैं, जुमले हैं, जुमलों का क्या।
भाजपाइयों की निगाह में अभिव्यक्ति की आज़ादी का यही मतलब है कि चाहे जब चाहे जो
कहते रहो। इनके यहाँ जुबान की जबाबदेही नहीं होती। भाजपाई हैं कोई हरिश्चन्द्र
थोड़े हैं।
गलती हो जाये तो मान लेना चाहिए, अंग्रेजी
में तो कहा गया है मनुष्य ही गलती करता है। अपनी पुराण परम्परा में तो देवता तक
गलती करते रहे हैं और कोई सुन्दर मनुष्य का चेहरा मांगने जाये तो बन्दर का मुँह दे
देते रहे हैं। काका हाथरसी ने तो कहा है –
गलती तो सबसे होती है
ईश्वर ने क्या भूल नहीं की
हाथी की जो असल पूँछ थी
वो उसके मुँह पर लटका दी
अपनी भूल छुपाने को फिर
एक गधे की पूंछ खींच कर
हाथी के पीछे चिपका दी
मुखमण्डल पर दोनों आँखें
पास पास ही फिट कर दी हैं
एक आँख आगे दे दी, तो
एक आँख पीछे दे देते
तो क्या कुछ घाटा हो जाता!
सिर पर कोई चपत मार कर भाग जाये तो क्या कर लोगे!
चुटकले भी कई बार सटीक चरित्र चित्रण कर
देते हैं। और कई बार तो क्या अगर आपको चरित्रों का ज्ञान हो तो अक्सर यह काम करते
हैं। एक मास्टर साब ने जो पहली बार पधारे थे, ने छटवीं कक्षा में एक सवाल पूछा- एक
हवाई जहाज दिल्ली से मुम्बई की ओर तीन सौ किलोमीटर की रफ्तार से जा रहा है तो बताओ
मेरी उम्र क्या है?
पूरी कक्षा सन्न। सुइ पटक सन्नाटा। किसी
भी छात्र के पास उत्तर नहीं था। अंत में पीछे की बेंचों पर बैठने वाला एक छात्र उठ
खड़ा हुआ और पूछा- मास्साब मैं बताऊं?
हाँ हाँ तुम भी तो इसी कक्षा के छात्र हो
बताओ, बताओ, मास्साब ने कहा।
सर आपकी उम्र चालीस साल है।
मास्साब गद्गद। सचमुच उत्तर सही था।
मास्साब की उम्र चालीस साल थी। वे पीछे छात्र की ओर बढे। छात्र सहम गया कि अब
पिटाई होगी। उसने दोनों हथेलियों से कनपटियों को सुरक्षित करते हुए सिर को एक ओर
झुका लिया। मास्साब उसके निकट आये और उसे गले से लगा लिया। पूरी कक्षा एक बार फिर
सन्न। उस लड़के के साथ भी यह गौरव के क्षण ऎतिहासिक थे। वे उसके कन्धे पर हाथ रख कर
कक्षा में आगे ले आये और अपनी सीट के पास खड़ा करके बोले – शाबाश, अब तुम पूरी
कक्षा को समझाओ कि तुमने कैसे हिसाब लगाया और इस सही उत्तर तक पहुँचे। छात्र ने एक
बार मास्साब को फिर परखा और आश्वस्त होकर बोला- सर मेरे एक बड़े भाई हैं वे आधे
पागल हैं, और उनकी उम्र बीस साल है।
मैं भी अगर जान की अमान पाऊँ तो कहूं कि नोटबन्दी
की हैप्पी बर्थडे पर महामना रवि शंकर प्रसाद ने उसके प्रभावों में से एक जो देह
व्यापार में कमी महसूस की है वह ऐसी ही है। वे विकास के बड़े पापा की तरह लग रहे हैं।
किंतु पार्टी में वे अकेले नहीं हैं उनके मामा भारत माता के मध्य प्रदेश अर्थात
गोद में खेलते हुए महसूस कर रहे हैं कि प्रदेश की सड़कें वाशिंग्टन की सड़कों से
अच्छी हैं। कुछ लोग गाय के गोबर ही नहीं नथुने से भी आक्सीजन छुड़वा रहे हैं। कुछ
लोग राम मन्दिर बना कर राम राज्य लाने की घोषणा कर रहे हैं। ये बात अलग है कि राम
बनवास की धरती पर उनके प्रचार का असर केवल इतना हुआ कि उनकी पार्टी हर तरह की झीक
[यह एक बुन्देली शब्द है] लगाने के बाद भी पराजित हो गई। पता नहीं मुख्यमंत्री का
उखाड़ा गया टायलेट अब कहाँ गाड़ा जायेगा।
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