व्यंग्य
धैर्य का मजबूत बाँध
दर्शक
रामभरोसे ने जिन्हें अभी तक हाफ पैंट में
देखा था वे फुल पैंट चढाये हुये आये, और कोहनी तक हाथ जोड़ते हुए उससे उसका धर्म
पूछा।
“ सारस्वत ब्राम्हण “ कहते हुये राम भरोसे
का सिर गर्व से ऊंचा हो गया था।
“ हाँ मुझे लग रहा था “
“ तुम्हें कैसे लग रहा था, क्या मेरे आगे
पीछे कोई ठप्पा लगा हुआ है जो तुम्हें देखते ही लगने लगा” राम भरोसे के कुढ कर
कहा।
“ वो भाई साहब बात ये है कि आप ब्राम्हण
हो तो हिन्दू हुये, और सभी हिन्दुओं की तरह तुम्हारे धैर्य की परीक्षा हो रही है
जिससे तुम्हारे धैर्य का बाँध टूट रहा है, और ऐसा आदमी अलग से पहचान में आ जाता
है। अब ये कोई व्यापम फ्यापम की परीक्षा तो है नहीं कि नोट फेंके और किसी से भी
परीक्षा दिलवा ली, धैर्य की परीक्षा तो खुद ही देना पड़ती है”
“ अबे कैसी परीक्षा, कैसा बाँध, आखिर तुम
ये कैसी बातें कर रहे हो? “ राम भरोसे को गुस्सा आने लगा था।
“ हैं,
हैं, हैं. भाई साहब आप तो बड़े
मजाकिया हो “
“ अबे काहे का मजाकिया, सच सच और साफ साफ
बोलना कब सीखोगे तुम लोग” राम भरोसे का गुस्सा बढता ही जा रहा था।“
“ अरे आपको नहीं पता कि अयोध्या में भव्य
राम मन्दिर का निर्माण खटाई में पड़ा हुआ है और जबसे विवादित धर्मस्थल टूटा है तब
से लोग कहने लगे हैं कि भाजपाई ठाठ में और रामलला टाट में। आखिर हम आप जैसे हिन्दू
कब तक सहेंगे यह अपमान”
“ इसमें अपमान सम्मान कहाँ से आ गया?
अयोध्या में हजारों मन्दिर हैं उनके निर्माण को किसी बाबर या उनकी औलादों ने नहीं
रोका। इसलिए मामला मन्दिर निर्माण का नहीं जमीन के मालिकाना अधिकार है और उसी का
मुकदमा अदालत में चल रहा है। अदालतें इसी मामले में नहीं, सभी मामलों में अपनी चाल
से चल रही हैं। इसलिए यह अन्याय भी तब तक सहेंगे जब तक कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नहीं आ जाता, ... पर आपसे यह किसने कह
दिया कि हमारे धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। मैं तो रूखी सूखी खाय के ठंडा पानी
पी रहा हूं और हमारे प्रदेश का आनन्द मंत्रालय कह रहा है कि हम परम आनन्द में
हैं।“
“ पर अपने प्रभु के जन्मस्थान पर मन्दिर
निर्माण में हो रही देरी पर आपका खून नहीं खौलता, आप कैसे हिन्दू हैं?
“ खून जब खौलता है तो फिर खौल खौल कर जलने
लगता है पर खून किसके खिलाफ खौलायें? सरकार के खिलाफ? न्याय व्यवस्था के खिलाफ ?
गैर भाजपा दलों के खिलाफ ? या मुसलमानों के खिलाफ?” आप लोग तो चाहते हो कि मुसलमान
हिन्दुओं के बीच तनाव बना रहे जिसे चुनाव के ठीक पहले उभार कर ध्रुवीकरण करा दो और
खुद हिन्दुओं के खैरख्वाह बन जाओ सो तुम्हारी पार्टी चुनाव में जीत जाये। पन्द्रह
साल से प्रदेश में और चार साल से देश में तुम्हारा एक क्षत्र राज है पर भव्य राम
जन्मभूमि मन्दिर के जल्दी निर्माण की बेचैनी तुम्हें चुनाव के पहले ही होने लगती
है। इससे पहले व्यापम व्यापम कर रहे थे अब राम राम करने लगे हो। जैसे इतने दिन चुप
रहे सो अदालत द्वारा दी गयी तारीख तक और दूसरे राम मन्दिरों में दर्शन पूजा कर लो,
उसमें क्या बिगड़ जायेगा? पर तुम्हारा मतलब न राम से है न पूजा से तुम्हारा मतलब तो
चुनाव से है। उसमें भी तुम्हारी बहादुरी प्रकट नहीं होती बल्कि तुम दूसरों को
उकसाने के लिए भावुक जुमले उछालते हो। कौन सा हिन्दू सर्वेक्षण तुमने किया कि उसका
धैर्य टूट रहा है। किस नेता के बेटे ने लाठी गोली खायी? वे तो पिछड़े दलितों के
बच्चों को आगे कर के उन्हें बलिदान करा देते हैं जिससे नेताओं के बच्चे विधायक,
सांसद, आईएएस, आई पी एस, ठेकेदार और गवर्नमेंट सप्प्लायर बन सकें। जाओ मेरे सामने
से हट जाओ बरना मेरा धैर्य सचमुच टूट कर तुम्हारे ऊपर गिर जायेगा”
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें