व्यंग्य
साधु और शैतान
दर्शक
महमूद, किशोर कुमार, ओमप्रकाश, मुकरी और प्राण के सहकार से कभी एक हिन्दी
फिल्म आई थी जिसका नाम था ‘साधु और शैतान’ । पुरानी फिल्मों को पसन्द करने वालों
ने इस फिल्म को फिर से सिनेमा हालों में लगा दिया है, पर अब उसे लोग स्वामी और
शैतान के नाम से पुकार रहे हैं।
जब से एक स्वामी को भाजपा ने बांहैं
फैला कर शामिल किया है तब से हिन्दी मुहावरों, कहावतों के दिन फिर गये हैं। कहावतें,
ऐसी फिर फिर कर याद आ रही हैं जैसे कि सावन के मौसम में हिंडोले वाले झूले में बार
बार पालकी नीचे ऊपर होती है और हर बार पेट में एक मीठी गुदगुदी सी होती है।
एक कहावत है – आ बैल मुझे मार। बाजार में छुट्टे घूमते बैल को इसलिए बुला लिया
जाता है कि शायद बाड़े में बँध कर चुपचाप घास खाने लगे, पर मरखने बैल को दस पाँच
लोगों को सींग घुसाये बिना चैन कहाँ मिलता है। कृष्ण बिहारी नूर का एक शे’र है –
चाहे सोने के फ्रेम
में जड़ दो \ आइना झूठ बोलता ही नहीं
वही हाल मरखने बैल
का है, उसे चाहे जितनी घास खिला दो पर वह अपने माथे की ताकत और उसमें उगे सींगों
का उपयोग नहीं छोड़ सकता। बूढा मरे चाहे जवान \ हत्या से काम । बचपन में गाँव के
लड़के धागे में पत्थर बाँध के घुमाते थे और यह कहते हुए अचानक छोड़ देते थे- लगै बचै
तो हम नहिं जानत, हमाए कान में नील कौ डोरा।
नशाबन्दी के लिए प्रसिद्ध मोरारजी भाई देसाई की जनता पार्टी सरकार, जिसमें संघ
से निकले अटल बिहारी, अडवाणी समेत अनेक गाँधीवादी भी मंत्री थे तब स्वामी ने कहा
था कि मोरारजी मंत्रिमण्डल में केवल तीन
मंत्री ऐसे हैं जो शराब नहीं पीते।
कभी जय ललिता से मिल कर अटलबिहारी की सरकार गिरवा देने वाले स्वामी ने जय
ललिता के पीछे ऐसा पुछल्ला लगाया कि हाथी दान करने के बाद भी उन्हें स्तीफा देना
पड़ा और जेल यात्रा करना पड़ी। ऐसा कोई सगा नहीं \ जिसको मैंने ठगा नहीं ।
कभी राजीव गाँधी के सहयोगी होने का दम भरने वाले स्वामी ने बफादारी की बेबकूफी
नहीं सीखी। नेशनल हेरल्ड मामले में सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी को जमानत ही लेना
पड़ी। जब भाजपा सांसद कीर्ति आज़ाद को जेटली का विरोध करने के कारण पार्टी ने नोटिस
दिया तो स्वामी आगे बढ कर के उसका जबाब देने के लिए खुद को प्रस्तुत कर रहे थे।
मोदी की नाराजी के कारण जिन आसाराम का नाम लेने से लोग बच रहे थे उनकी वकालत करने
के लिए स्वामी आगे आये। दुनिया में नहीं जिसका कोई उसका खुदा है की तर्ज पर स्वामी
किसी भी उठापटक के लिए तैयार हैं। मोदी सरकार की पूंछ में फुलझड़ी बाँधने में
जेठमलानी और स्वामी में प्रतियोगिता सी चल रही है।
मोदी ने फ्रांस में वार्ता कक्ष में कदम ही रखा था कि स्वामी का बयान आ गया कि
राफेल विमान पूरी दुनिया से बहिष्कृत विमान है उसके साथ सौदा ठीक नहीं है। सिर
मुड़ाते ही ओले झेलने वाले मोदी की दशा भई गति साँप छंछूदर केरी हो गई थी, वे सोच
रहे थे कि –
जिधर की सिम्त मेरे
दोस्तों की बैठक थी \ उसी तरफ से मेरे सेहन में पत्थर आये ।
और तो और उन्होंने सूटबूट ख्यात मोदी मंत्रिमण्डल के मंत्रियों के सूट पहिनने
को वेटर जैसे नजर आने की संज्ञा दे दी। ऐसा तब जब कि मोदी खुद को चाय बेचने वाला
बताते हैं। उनकी मानव संसाधन विकास मंत्री ने कभी मैक्नाल्ड में वेट्रैस का काम
किया था और पंजाब के एक मंत्री सांपला भी कभी अरब देशों में ऐसा ही काम करते थे।
रोचक तो यह है राबर्ट वाड्रा का भी पहली बार मुँह खुला कि वेटर भी सम्मानित लोग
होते हैं। शायद वाड्रा को नहीं पता कि सम्मानित तो नागा साधु भी होते हैं।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जब अपना दूसरा टर्म लेने से मना कर दिया तो खुद की
पीठ थपथापाते मुंगेरी स्वामी ने कहा कि अभी एक विकेट गिरा है उनकी सूची में
सत्ताइस नाम हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने दुनिया में इसी के लिए अवतार लिया है कि
इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रियों से खाली कर दें।
सुनन्दा पुष्कर की मृत्यु से लेकर दुनिया भर के राज उन्हें पता हैं और भाजपा
को ‘उगलत निगलत पीर घनेरी’ की स्थिति में पहुँचा दिया है। मोदी की भक्त मंडली यह
तय नहीं कर पाती कि उनके साथ कैसा व्यवहार किया जाये। चिठिया हो तो हर कोई बाँचे,
भाग न बाँचे कोय, करमवा बैरी हो गय हमार ।
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