व्यंग्य
बड़ी सर्जरी की जरूरत
दर्शक
पंचतंत्र में एक कहानी आती है। और जैसा कि होता आया है कि पंचतंत्र की
कहानियों में नायक या तो पशु पक्षी होते हैं या ब्राम्हण, पर इस कहानी में दोनों
हैं। इस कहानी में भी एक गरीब ब्राम्हण था जिसे किसी दूर दराज के गाँव में कथा
वाचन के लिए बुलाया गया था। कथा के बाद उसे भरपेट भोजन कराया गया और दक्षिणा में
एक बछिया भी भेंट की गयी। बछिया को लेकर जब वह ब्राम्हण अपने गाँव की ओर लौटने लगा
तो चार ठगों के गिरोह ने उसे देख कर सोचा कि इसकी बछिया हथिया ली जाये। ठग हमेशा
से ही ब्राम्हणों से चतुर होते आये हैं। चारों आगे जाकर एक दो मील के फासले पर
पड़ने वाले मोड़ों पर खड़े हो गये। पहले मोड़ पर पहुंचते ही पहला ठग मिला और प्रणाम
करते हुए पूछा कि महाराज क्या ये कुत्ता पालतू है?
“ मूर्ख ये कुत्ता नहीं बछिया है” ब्राम्हण देवता ने कहा। ठग ठठा कर हँस दिया
और बोला महाराज क्यों मजाक करते हो! अच्छा राम राम।
उस ठग के जाने के बाद उसने चारों तरफ से घूम घूम कर देखा और पाया कि वह
बिल्कुल से बछिया थी। आगे जब दूसरा मोड़ आया तो दूसरे ठग ने पूछा कि महाराज यह
कुत्ता क्या आपके साथ लग गया है। अब तो ब्राम्हण भी कुत्ता पालने लगे। ब्राम्हण ने
उस ठग के विदा होते ही दुबारा से बछिया को पूरे सन्देह से देखा और पाया कि वह
बछिया ही थी। वह तेजी से आगे बढ चला। तीसरे मोड़ पर तीसरे ठग ने रास्ते पर ठिठक कर
पूछा- पंडितजी यह कुत्ता काटता तो नहीं है? गुस्से से ब्राम्हण ने ‘नहीं’ कहा और
आगे बढ गया। जल्दी घर पहुँचने के इरादे से उसने बछिया को उठा कर कन्धे पर रख ली और
तेजी से चलने लगा। आगे चौथा ठग मिला जिसने पूछा – क्या महाराज भ्रष्ट हो गये हो
कुत्ते को कँधे पर उठाये घूम रहे हो। वैसे कुत्ता है बहुत प्यारा। घबरा कर
ब्राम्हण ने तेजी से अपना रस्ता पकड़ा और जंगल आते ही उस बछिया को फेंक कर दौड़ लगा
दी। पीछे आ रहे ठगों ने बछिया को उठा लिया और घर ले गये।
पाँच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित होते ही काँग्रेस की बछिया का भी यही हाल
हो गया है। पहले वाले ठग ने तो काँग्रेस मुक्त भारत का नारा उछाल दिया था। फिर ठग और
ठग के मीडिया सहयोगी श्रद्धांजलि लेख लिख कर कहने लगे कि काँग्रेस तो गई।
काँग्रेसियों ने ऊपर से नकारते हुए भी इसे स्वीकार कर लिया कि वह मरणासन्न हो गयी
है। कुछ को तो लगने लगा कि उन्हें अब मुँह में गंगाजल डाल कर ब्राम्हणों को बछिया
दान कर देना चाहिए। कुछ थोड़े आशावादी थे सो उन्होंने उम्मीद रखी कि शायद बच जाये।
यही कारण रहा कि वे डाक्टर पी के को तलाशने लगे और कुछ दवाई बदलने व कुछ बड़ी
सर्जरी की सलाहें देने लगे।
बीपी, सुगर की जाँच करने वालों ने जब जाँच रिपोर्ट देखी तो मामला उल्टा ही
निकला। राज्यों के विधानसभा चुनावों व उ,प्र, झारखण्ड, गुजरात, तेलंगाना जैसे
राज्यों में हुए उपचुनावों में शामिल प्रमुख दलों को प्राप्त कुल मतों का क्रम
निम्नानुसार था।
1- तृणमूल काँग्रेस 24564253
2- काँग्रेस 19931627
3- एआईडीएमके 17617060
4- सीपीएम 16586893
5-बीजेपी 14252549
6-डीएमके 13670511
2- काँग्रेस 19931627
3- एआईडीएमके 17617060
4- सीपीएम 16586893
5-बीजेपी 14252549
6-डीएमके 13670511
इन्हीं चुनावों में
जीती हुयी सीटों की संख्या का सम्मलित चार्ट भी देख कर समझने लायक है।
1- तृणमूल काँग्रेस 211
2- एआईडीएमके 138
3- काँग्रेस 116
4- डीएमके 91
5- सीपीएम 84
6- भाजपा 66
7- सीपीआई 20
1- तृणमूल काँग्रेस 211
2- एआईडीएमके 138
3- काँग्रेस 116
4- डीएमके 91
5- सीपीएम 84
6- भाजपा 66
7- सीपीआई 20
कई बार गलत सलाहकार,
गलत अस्पताल और गलत डाक्टर मिल कर मरीज को आपरेशन टेबिल पर पकड़ पटकते हैं जिससे
कभी उसकी किडनी चोरी हो जाती है और कभी फेफड़ा। कोई कह रहा है कि कौआ कान ले गया तो
दौड़ लगाने से पहले अपना कान तो देख लो।
कफन बेचने वाले शातिर
व्यापारी हैं इसलिए आर्डर देने से पहले अपनी नब्ज तो देख लो काँग्रेसियो! पाकिस्तान
की मशहूर शायरा परवीन शाकिर का शे’र है-
मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूठ बोलेगा और लाजबाब कर देगा
मैं सच कहूंगी मगर फिर भी हार जाऊंगी
वो झूठ बोलेगा और लाजबाब कर देगा
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