गुरुवार, 5 अक्तूबर 2017

व्यंग्य वीसी की सीवी

व्यंग्य
वीसी की सीवी
दर्शक
ये वीसी क्या होता है?
‘वाइस चांसलर’
‘वाइस क्या होता है?’
रामभरोसे को पता नहीं था इसलिए उसने तुरंत ही स्मार्ट फोन में शब्द खोला और अंग्रेजी से हिन्दी का विकल्प चुना। वी आई सी ई टाइप किया और सर्च दबाया। वहाँ लिखा था वाइस/ वाइसी , नाउन।...  और शब्दार्थ दिया था , नुकसान, पाप, पापाचरण, बाँक, बुराई, व्यसन, शरारत, शिकंजा, हानि, खराबी । उसे लगा कि कुछ गड़बड़ हो गई है इसलिए उसने चांसलर/चैंसलर भी सर्च किया। वहाँ बिल्कुल ठीक लिखा था – कुलाधिपति, राज पंडित आदि ।
अगर शब्दकोश के अनुसार कोई बीएचयू के वीसी का अर्थ निकाले तो क्या अर्थ होगा? अब जाकर उसे गूगल के अनुवाद का रहस्य पता चला।  
अगर फूल कागज या प्लास्टिक के न हों तो शाखा से ही निकलते हैं। वीसी भी अगर शाखा से निकले हों तो......... । बहरहाल बीएचयू के त्रिपाठीजी शाखा से ही निकले थे और इसीलिए वीसी बनाये गये थे। आजकल पदों पर प्रतिष्ठित करने में इकलौती प्रतिभा यही रह गयी है। शाखा से निकलो और शिखर् पर सवार हो जाओ। पद चाहे फिल्म इंस्टीट्यूट का हो या नैशनल बुक ट्रस्ट का, सब के सिर पर शाखा के फूल चढे हुये हैं।
आजकल फूल चढी समस्त संस्थाओं का एक ही फार्मूला हो गया है, या तो जो कुछ हम कह रहे हैं, उससे सहमत हो जाओ बरना देशद्रोही। वे अगर कहें कि सूरज पश्चिम से निकलता है तो स्वीकार करना पड़ेगा नहीं तो देश द्रोही की गाली सुनो। उनके अन्धे देशभक्त देशद्रोहियों को कैसे सहन करेंगे इसलिए एक के भोंकने की आवाज सुन कर भोंकेने लगते हैं। पूरे कैम्पस से भों भों सुनाई देने लगती है। भक्त किसी को कहीं भी मारने से पहले कह देते हैं कि वह गौमाँस खा रहा था। गौभक्त भी बाँहें चढा लेते हैं, कोई बहादुर नहीं पूछता कि माँस कहाँ हैं, या है तो कैसे जाना कि यह गौमाँस ही है। कोई ट्रेन में सीट नहीं दे तो कह दो कि गौमाँस क्यों खा रहे थे और मार पीट कर फेंक दो। दफ्तर में अफसर डांटे तो कह दो कि वह लंच में गौमाँस लाता है। गाली देकर कह दो कि बन्दे मातरम बोलना पड़ेगा। राष्ट्रभक्ति चण्डाल चौकड़ी की चेरी बन गई है। मीडिया से कह दो कि बस हनी प्रीत द्वारा बाबा से प्रीत करने के वीडियो को तरह तरह के कोणों से दिखाते रहो। सत्यकथाएं बेचने वाले मक्खियां मार रहे हैं क्योंकि रेलवे स्टेशन पर ग्राहक कहता है कि हनी प्रीत की कहानी वाली कोई पत्रिका हो तो वही दो।
भ्रष्टों पर कार्यवाही का दबाव बनाओ और उन्हें पार्टी में शामिल कर लो कार्यवाही किसी पर मत करो। जो शामिल नहीं हुए उन्हें डराते रहो। टूजी, थ्रीजी, जीजाजी, किसी पर कार्यवाही मत करो। पड़ोसियों का डर दिखाओ और हथियार खरीदते रहो। नक्स्लवादियों का डर दिखा कर जंगल में खनन माफिया की सुरक्षा में सुरक्षा बल लगा दो। बाँध बनाने से उजड़े ग्रामवासियों का पुनर्वास मत करो। बाबाओं को आगे कर चुनाव जीतो और अगर वे बदनाम हो जायें तो बाबा बदल दो। बेटे से बाप पर टिप्पणी लिखवा दो। यही अनुमान करके अकबर इलाहावादी लिख गये हैं-
हम ऐसी सब किताबें, काबिले ज़ब्ते समझते हैं
कि जिनको पढ कर बेटे बाप को खब्ती समझते हैं