मंगलवार, 2 जनवरी 2018

व्यंग्य समय को शीर्षासन कराने वाले योगी

व्यंग्य
समय को शीर्षासन कराने वाले योगी  
दर्शक
       लाल बुझक्कड़ बहुत ही तार्किक पात्र है। उसके पास हर मर्ज की दवा है और हर दवा का कारण और मर्ज मौजूद है। कहते हैं कि एक शिशु के सिर में कुछ असामान्य धड़कन महसूस की जा रही थी तो उसके परिवार के लोग उपचार के लिए लाल बुझक्कड़ के पास लेकर पहुँचे। लाल बुझक्कड़ ने सलाह दी कि इसके सिर में एक कीला ठोक दो। परिवारीजन शिशु को घर ले गये और सलाह अनुसार कार्य किया। परिणाम स्वरूप बच्चा मर गया। वे भागे भागे लाल बुझक्कड़ के पास पहुँचे और स्थिति बयान की। लाल बुझक्कड़ बोले कि तुम हमारे पास तलुवे की धड़कन बन्द कराने के लिए लाये थे, वह धड़कन बन्द हुयी कि नहीं?
वह तो बन्द हुयी। परिवारीजन बोले।
बस, ठीक है। बच्चा ज़िन्दा है या नहीं, उससे कोई मतलब नहीं, बस धड़कन बन्द होना चाहिए थी, जिसके लिए तुम आये थे।  
मोदी मंत्रिमण्डल के रत्नों में से कोई न कोई अपने मुखारबिन्द से ऐसे फूल उचकाता है कि लाल बुझक्कड़ की याद आती रहती है। अभी हम आदरणीय रवि शंकर प्रसाद की बात भूल ही नहीं पाये थे कि उनके मंत्रिमण्डल के एक और रतन अनंत कुमार हेगड़े ने नई थ्योरी पेश कर दी है। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील होने का दावा वे लोग करते हैं जिन्हें अपने माँ बाप का पता नहीं होता। उनके अनुसार आदमी हिन्दू हो सकता है, मुसलमान, हो सकता है, ईसाई हो सकता है, ब्राम्हण हो सकता है, लिंगायत हो सकता है पर धर्मनिरपेक्ष नहीं हो सकता। अर्थात पैदा होते ही उसकी जाति और धर्म तय हो जाता है। जिस जाति भेद को मिटाने का वादा हमारा संविधान करता है व जाति धर्म के चुनाव के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए अम्बेडकर ने पाँच लाख लोगों के साथ हिन्दू धर्म को छोड़ कर बौद्ध धर्म अपनाया था, उसे पुनर्स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। 
बड़ी मुसीबत है भाई, सम्बित पात्रा के पिता तुल्य नेता कहते हैं कि हम असली धर्मनिरपेक्ष हैं, और दूसरी पार्टियों के नेता छद्म धर्म निरपेक्ष हैं- स्यूडो सेक्युलर, अर्थात हैं वे भी सेक्युलर। भागवत जी बांचते हैं कि हिन्दू तो पैदाइशी धर्म निरपेक्ष होता है और भारत में पैदा हुए सभी हिन्दू हैं। इन्द्रेश कुमार भाजपा में अल्पसंख्यक मोर्चा अलग से चलाते हैं। समझ में नहीं आता कि जब सभी हिन्दू हैं तो अलग से मोर्चे की क्या जरूरत।
गीता में कहा गया है-
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृज्याहम।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।
धर्म संस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे ॥
 जब नया अवतार नष्ट हो चुके धर्म को उबारने के लिए आयेगा तो पुराने धर्म के लोगों को अपनी पिछली मान्यताएं त्यागना होंगी और नये में भरोसा करना होगा। ऐसा करते भी रहे हैं। इसी को धर्म परिवर्तन कहते रहे हैं और यह व्यापक पैमाने पर होता रहा है। सनातन के बाद लोकायत, जैन, बौद्ध, सिख, मुस्लिम, ईसाई, आदि आदि धर्म परिवर्तन होते रहे हैं और आगे भी होते रहेंगे। भाजपा नेताओं की सुपुत्रियों के दूसरे धर्मों के सुपुत्रों से विवाह के दर्जनों किस्सों का हवाला मीडिया में दर्ज होता रहता है, उनकी संतानों का क्या होगा हेगड़े जी!
एक फिल्म आयी थी धर्मपुत्र और उसकी थीम ही उसके गाने में निहित थी कि – तू हिन्दू बनेगा, न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा। और हुजूर महाभारत के पात्रों का क्या करेंगे जिनमें से कोई भी प्रमुख पात्र आपके दर्शनानुसार पैदा नहीं हुआ। चाहो तो अपने ग्रंथों को दुबारा पढने की कृपा कर लो। पर आप क्यों पढेंगे जबकि आपके नेताओं को स्वर्ग सा सुख तो आसाराम के साथ नृत्य करने, राम रहीम को ढोक देने, और वीरेन्द्र देव के आश्रम में नेताओं को भेजने से चल जाता है।
हिन्दी फिल्मों में नायक से लड़ने के लिए खलनायक के दल के लोग एक एक करके आते हैं, जैसे सार्वजनिक नल से बाल्टी भरने आये हों। समाज के मूल मुद्दों को भटकाने और वादे भुलाने के लिए आपके नेता भी क्रमशः कोई न कोई फुल्झड़ी छोड़ते रहते हैं और आपकी गोदी में बैठा हुआ मीडिया जोर जोर से चिल्ला कर प्राइम टाइम करता रहता है। इस बार हेगड़े की बारी थी।

जाने भी दो यारो! ये ऐसे नहीं सुधरेंगे।     

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