मंगलवार, 2 जनवरी 2018

व्यंग्य सड़कीले नेता

व्यंग्य
सड़कीले नेता
दर्शक
रामभरोसे प्रार्थना कर रहा था- हे प्रभु मुझे लक्ष्मीजी का उल्लू बना देना, गणेशजी का चूहा बना देना, और चाहे तो गुजरात का गधा बना देना जिसका विज्ञापन सदी का महानायक कहलाने वाला वयोवृद्ध अभिनेता करता है, पर मुझे किसी पार्टी का प्रवक्ता मत बनाना, खास तौर पर फेंकू उस्तादों की राष्ट्रवादी पार्टी का। पहले तो सोचता था कि प्रवक्ता बनना सबसे अच्छा है जिसके सहारे बिना कुछ किये धरे ही प्रतिदिन टीवी पर अपना चौखटा दिखाने का मौका मिलता है, पर जबसे देखा है कि प्रवक्ता को नेता के प्रत्येक बयान का बचाव करते हुए उसे दुनिया का सबसे सही वकव्य सिद्ध करना पड़ता है तब से आत्मा कांप गयी है।
यह प्रार्थना मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के वाशिंग्टन में दिये उस बयान से सम्बन्धित टीवी शो देखने के बाद हो रही थी जिसमें प्रवक्ता ने शिवराज सिंह द्वारा मध्य प्रदेश की सड़कों को अमेरिका की सड़कों से बेहतर बताया था व प्रवक्ता जी सारे पैनलिस्टों और लाखों दर्शकों की उपहासपूर्ण हँसी के बीच बयान का बचाव कर रहे थे। उसी के बाद ही प्रदेश, देश और स्थानीय मीडिया में प्रदेश की टूटी फूटी सड़कों के हजारों फोटोग्राफों के साथ तरह तरह के कार्टून व टिप्पणियां प्रकाश में आने लगीं। रोचक यह है कि जब सारे लोग मजे ले रहे थे तब भी प्रवक्ता अपनी बात ठेल रहे थे जबकि उनके हाव भाव से लग रहा था कि वे खुद भी अपनी बात से मुतमईन नहीं हैं।
भाजपा को जहाँ एक ओर कुर्सी के लिए सारे समझौते करना पसन्द है वहीं अपने किसी नेता का कुर्सी छोड़ना बिल्कुल नहीं भाता। उनकी पार्टी में जिसने भी स्तीफा दिया उसका फजीता हुआ। मदनलाल खुराना हों, उमा भारती हों, बाबूलाल गौर हों, येदुरप्पा हों, कल्याण सिंह हों, केशू भाई पटेल हों, जसवंत सिंह हों, यशवंत सिन्हा हों सभी पछताये। उमर और स्वास्थ के कारणों से भी हटाये गये लोग भी दुखी दिखे। बाबा राम रहीम के साथ बराबर के साझेदार हरियाणा के खट्टरों समेत किसी ने स्तीफा नहीं दिया। राष्ट्रीय पार्टी को बचा खुचा टुकड़ा डालने वाली शिरोमणि अकाली दल के साथ जो मिला उसे भी अपमान की चटनी के साथ चाटते रहे। शिव सेना चाहे जब लतियाती रही पर कुर्सी के लालच में इन्होंने उसे पुचकारना बन्द नहीं किया। मध्य प्रदेश में इतने काण्ड हुये और हर बार लगा कि अब तो सरकार को अपना बोरिया बिस्तर समेट लेना चाहिए किंतु मुख्यमंत्री के चक्कर में काँग्रेसी राज्यपाल को भी तब तक वापिस नहीं बुलाया जब तक कि स्वयं यमराज ने नोटिस नहीं भेज दिया। हाल यह है कि अभी तक भी उस राजभवन में कोई स्थायी राज्यपाल आने की स्थिति नहीं बन सकी है।
मध्य प्रदेश के अनेक केबिनेट मंत्रियों की तरह छत्तीसगढ के मंत्री की सीडी भी सरे बाज़ार नीलाम हुयी और प्रवक्ताजी के सामने फिर संकट खड़ा हो गया। किसी को भी नक्सलवादी कह कर बन्द कर देने वाली छत्तीसगढ की पुलिस नोएडा के पत्रकार के पीछे पड़ गयी जिसने स्टिंग किया था। एक ओर प्रवक्ता जी कह रहे हैं कि सीडी में मंत्री जी नहीं हैं और दूसरी ओर कह रहे हैं कि देश के एक वरिष्ठ पत्रकार को आधी रात गिरफ्तार करके सही किया। भैया जब सीडी ही असली नहीं है तो सामने आने देते। कहा जाता है कि हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री के दुश्मन संजय जोशी की सीडी तो गुजरात से ही जारी हुयी थी जिसकी लीपापोती मध्य प्रदेश में ही हुयी थी।
नैतिकता और भावना को ठेस इत्यादि लगने की बातें तो हाथी के दांत हैं। कुर्सी मिली हो तो सब हजम कर लेती है राष्ट्रवादी पार्टी और उनका मातृ पितृ संगठन । संगठन ने बंगारू लक्षमण से लेकर जूदेव और येदुरप्पा से लेकर व्यापम तक किसी की आलोचना नहीं की।

भाजपा प्रवक्ता होने के लिए कितना बेशर्म होना पड़ता है।                                                                                                                                                                                                                                   

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें