बुधवार, 20 मई 2015

व्यंग्य मी लार्ड



व्यंग्य
मी लार्ड

दर्शक
एक मंत्री रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़े गये थे और वैसे ही गुणों के लिए बदनाम एक न्यायाधीश की अदालत में पेश हुये।
सरकारी वकील ने उनसे पूछा क्या आपने इस मामले में रिश्वत ली है? मंत्रीजी चुपचाप छत की ओर ताकते रहे। उसने फिर पूछा- क्या आपने इस मामले में रिश्वत ली है? मंत्रीजी फिर भी छत की ओर ताकते रहे।
नाराज होकर न्यायाधीश ने गुस्से में जोर से कहा- जनाब ये आपसे पूछ रहे हैं कि क्या आपने इस मामले में रिश्वत ली है? मंत्रीजी ने चौंक कर कहा मुझ से पूछ रहे थे? सारी, मी लार्ड  मैं समझा कि आपसे पूछ रहे हैं...............
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गुमटी का नाम वी आई पी चाय होटल था और चाय के स्वाद से ज्यादा उसकी प्रसिद्धि थी।
जब बहुत देर तक प्रतीक्षा करने के बाद भी नम्बर नहीं आया तो उससे कहा भैया जरा जल्दी कर दो हमें जाना है।
 उसने दार्शनिक अन्दाज में कहाबाबूजी वी आई पी चाय है कोई वी आई पी न्याय नहीं कि पाँच मिनिट में जमानत  और चार मिनिट में बाइज्जत बरी होने का फैसला मिल जाय। थोड़ा सब्र कीजिये।
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सुबह घूमने जाने वालों ने देखा कि एक सुबह पूरे महानगर में सड़कों पर पार्क की गयी कारों के विंड स्क्रीन टूटे हुये थे और सब में एक पर्चा पड़ा हुआ था।
पर्चे में लिखा था- कुत्ते, सड़क कार चलाने के लिए होती है पार्किंग के लिए नहीं होती।
नीचे एक फिल्मी गायक का नाम लिखा हुआ था।
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एक भाजपाई और एक एआईडीएमके के अम्मा भगत में बहस चल रही थी फिर भी वे यह तय नहीं कर पाये कि परिधान मंत्री के पास कुर्ते ज्यादा हैं या अम्मा के पास साड़ियां। एआईडीएमके वाला इस ज़िद पर अड़ा हुआ था कि साड़ियों के साथ जूतियों को भी गिनती में लिया जाये।
अंत में वे एक बात पर सहमत हुये कि न्याय सभी वीआईपी लोगों के लिए समान है।  
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अगर अदालतों से दिये जाने वाले स्टे, जमानत और तारीख पर तारीख वाली समस्या दूर हो जाये तो वकीलों के चैम्बरों और अदालतों से साँय साँय करते सन्नाटे की आवाजें आने लगें।
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'जज साहब, मैं सच कहता हूं। मैं निर्दोष हूं।'
'
हां हां, सब यही कहते हैं।'
'
अगर सब यही कहते हैं तो कुछ तो सच होगा इसमें!'
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