रविवार, 28 मई 2017

व्यंग्य ब्रिग्रेडियर साब

व्यंग्य
ब्रिग्रेडियर साब

दर्शक
कल तक राम भरोसे का सपूत, जो नरेन्द्र मोदी को इस बात के लिए कोस रहा था कि उन्होंने दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा करके तीन साल में दो लाख को भी हिल्ले से नहीं लगाया, आज खुश दिखायी दिया। मैंने कारण पूछा तो बिना बताये मुस्कराकर निकल गया। मेरी जिज्ञासा शायरी की भाषा में शबनम से शोला हो गयी, अर्थात भड़क गयी। मैं यह भड़की हुयी आग लेकर भागा भागा राम भरोसे के यहाँ पहुँचा तो देखता हूं कि राम भरोसे खुद ही मिठाई का डिब्बा लिये बैठे हैं। राम भरोसे से मिठाई खाना बैल दोने जैसा कठिन काम है, सो जिज्ञासा और भड़क गयी। मुझे देख कर ही उन्होंने मिठाई का डिब्बा मेरी ओर बढाते हुए दूसरी ओर मुँह कर लिया ताकि पीक थूक सकें क्योंकि इस समय उनका मुँह गुटखा से लारायित था। पीक की पिचकारी छोड़ने के बाद उन्होंने उद्गार प्रकट किये। बोले, बधाई हो तुम्हारे भतीजे को काम मिल गया है। मैंने बनन में बागन में बसंत की तरह नकली खुशी बगराते हुए पूछा कब, कहाँ?
उन्होंने शांत रहने का इशारा करते हुए कहा, बताता हूं पहले मिठाई तो खाओ।
मैंने भी खुशी को दुहरी प्रकट करने के लिए बरफी के दो पीस एक साथ उठा लिये और इस तरह खाने लगा जैसे कि शांत रहने के लिए खा रहा होऊँ।
राम भरोसे ने धैर्य के साथ बताया कि उत्तर प्रदेश के फ्री और फेयर चुनावों के बाद योगी जी की सरकार आयी है................
........................... और उन्होंने गुटका छोड़ने के लिए आदेश दिये हैं। मैंने कहा।
.............. अरे वह तो उन्होंने अपने स्टाफ के लिए कहा है। राम भरोसे खीझ कर बोला- योगी जी ने आते ही नये नये काम शुरू किये हैं जिसमें से एक बड़ा काम ऎंटी रोमियो ब्रिग्रेडों का गठन भी है, उसमें अपना श्रवण कुमार भी ब्रिग्रेडियर बन गया है। उसने गले में पीला दुपट्टा डाल कर वर्दी भी बनवा ली है और एक मोटा सा लट्ठ भी ले आया है। ड्यूटी भी बहुत अच्छे पर्यावरण वाले स्थलों में लगती है जहाँ प्रेम पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बनता है। । वही स्थल तो ऐसे होते हैं जिसमें उसके दुश्मन पाये जाते हैं। पहले योगी के शपथ लेते ही पुलिस वालों ने यह काम हथिया लिया था, पर अगर वे ही करते तो बच्चों को काम कैसे मिलता, सो उनको रोक दिया। मौका देखते ही हमारा बहादुर दुश्मन पर हमला बोल देता है। पीला दुपट्टा देखते ही दुश्मन को सामने  पूरी योगी सरकार की ताकत दिखने लगती है। डर के मारे थर थर काँपता हुआ दुश्मन गिड़गिड़ाने लगता है और दो चार झापड़ खाने के बाद लड़की को पिज्जा खिलाने के लिए जुटाये पैसे निकाल कर रख देता है। लड़की तो रोने लगती है कि कहीं उसके घर वालों को पता न चल जाये।
देख लेना दर्शक जी अगर अपनी नफरत फैलाने वालों का शासन दस साल चल जाये तो लोग प्यार करना भूल जायेंगे। ऊपर मोदीजी, नीचे योगी जी और दोनों को नियंत्रित करते भागवत जी क्या दृश्य होगा। नफरत नफरत नफरत चारों तरफ नफरत। कहीं मुसलमानों से नफरत, कहीं ईसाइयों से नफरत, कहीं कम्युनिष्टों से नफरत, कहीं प्यार करने वालों से नफरत, कहीं दलितों से नफरत, कहीं दक्षिण के काले लोगों से नफरत, कहीं उत्तरपूर्व के चिंकियों से नफरत, बराबरी करती महिलाओं से नफरत। पूरे देश में कटप्पा और बाहुबली ही मारकाट करते घूमते मिलेंगे। सतियां, देवदासियां, हाथी, घोड़े, तलवार, भाले, त्रिशूल, लाठी, दनादन दनादन, खचाखच खचाखच। जो लोग ब्रिग्रेड में नहीं वे गौरक्षा का काम करते हैं, कुछ मन्दिर बनाने के लिए मस्जिदें गिराने का काम करेंगे। रोजगार ही रोजगार।  

रामभरोसे, जो कभी अपने श्रवण कुमार की नौकरी के लिए चिंतित रहता था, उस संकट को भूल चुका था और अपने ब्रिग्रेडियर बेटे के भविष्य की सुखद कल्पनाओं में खो गया था। मैंने उसकी खुशी की खातिर मिठाई के डिब्बे से एक पीस और उठाया और खिसक लिया।     

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