गुरुवार, 4 अप्रैल 2019

व्यंग्य फ्री हैंड


व्यंग्य
फ्री हैंड
दर्शक
रामभरोसे मिठाई का डिब्बा लेकर आया था। मैंने पूछा क्या हुआ तो खुशी उफनाते हुए बोला “बेटे की नौकरी लग गयी है”
अरे बधाई हो। पर, तुम तो उसे बहुत गालियां देते रहते थे कि किसी बात पर ध्यन नहीं देता। यह तो अच्छी बात हुयी। यह भी बताओ कि यह कैसे सम्भव हुआ!
“ मैंने उस पर पूरा ध्यान दिया। मेरी ही बजह से वह इस नौकरी में सफल हो सका” वह बोला ।
“ पर तुम तो एक बार कह रहे थे कि तुमने थक हार कर उससे हाथ खींच लिये फ्री हैंड दे दिया है, पर आज तुम अपनी ही पीठ थपथपा रहे हो।“
“अरे वह तो ज़ुमला था। वह भरोसा बढाने का खेल था। मोदीजी ने भी तो पहले सेना को फ्री हैंड दिया था किंतु सेना द्वारा बम गिराते ही अपनी सरकार की तारीफ में कसीदे पड़ने लगे थे।“
मोदी मोदी करने वाले लोग हर काम में मोदी होने लगते हैं। मैंने राम भरोसे से पूछा- तुम्हारी जाति क्या है रामभरोसे?
“ अच्छा तुम यह समझ रहे हो कि मेरे नालायक बेटे को आरक्षण के कारण नौकरी मिल गयी है सो सुन लो कि मैं आरक्षित वर्ग में नहीं आता हूं। ब्राम्हण हूं, पूरा पूरा ब्राम्हण, सरयूपारि ब्राम्हण...”
“अरे वो बात नहीं, और जहाँ तक आरक्षण का सवाल है सो अब मोदी जी ने उसमें भी भेद मिटा दिया है। कोटे वाले सारी जातियों में आ गये हैं, और मैं तो वैसे भी आरक्षण के पक्ष में हूं, मैं तो दूसरे कारण से पूछ रहा था”
“मैं सब समझता हूं, किस कारण से पूछ रहे थे?”
“ वो मातादीन के पैर धुलवाने थे”
“ कौन मातादीन, और उससे मेरा क्या सम्बन्ध, और फिर तुम मेरी जाति क्यों पूछ रहे थे?”
“ बात यह है कि मातादीन सफाई कर्मचारी है और जब से मोदी जी ने चार सफाई कर्मचारी के पैर धोये हैं तब से हर सफाई कर्मचारी इसी प्रतीक्षा में है कि उसके पैर धुलवाने के लिए कोई मोदी, नहीं तो, उनका भक्त आयेगा और पैर धोयेगा। मैं सोच रहा था कि तुम ब्राम्हण भी हो और मोदी भक्त भी हो सो तुम्हें यह पावन अवसर दिलवा दूं। वैसे भी चुनाव आने वाले हैं और हो सकता है इस नौटंकी से तुम्हें टिकिट मिल जाये, वोट मिल जायें, तुम सांसद बन जाओ, और फिर तुम्हारे मजे हो जायें। छत्तीसगढ से एक नेता थे वे घर वापिसी के लिए ईसाई बन चुके आदिवासियों के पैर धोकर उन्हें हिन्दू बनाते थे और सांसद से मंत्री बन गये थे। मंत्री बनने के बाद रिश्वत में मिली नोटों की गिड्डियां सर माथे लगाते हुए कहते थे कि पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से कम भी नहीं।“
रामभरोसे गुस्से में उठा और अपना मिठाई का डिब्बा भी उठा कर ले गया।     

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें