गुरुवार, 15 सितंबर 2016

व्यंग्य प्रतिशत का कमाल

व्यंग्य
प्रतिशत का कमाल
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प्रतिशत अर्थात प्रत्येक सौ में इतने। कुल कितने इसका हिसाब आप लगा लो, जो इस बात पर निर्भर करेगा कि कुल सौ कितने हैं। प्रतिशत निकालने के लिए गणित में कमजोरी नहीं चलेगी।
सबसे पहले शून्य खोजने का दावा करने वाले गणित विशेषज्ञ हमारे पावन देश की राजनीति में भी प्रतिशत का बड़ा महत्व है। संघ परिवार को बेतरतीब जनसंख्या बढने से कोई परेशानी नहीं होती। उसमें वे शिक्षा या गरीबी का प्रतिशत नहीं देखते, उन्हें परेशानी इससे होती है कि उसमें मुसलमानों का प्रतिशत कितना है। इस प्रतिशत को दुरुस्त रखने के लिए वे आवाहन करते रहते हैं कि प्रत्येक हिन्दू वीर चार या उससे अधिक संतानें पैदा करे। ऐसा आवाहन करते समय वे उन पौराणिक ग्रंथों की कथाओं को भी भुला देते हैं जिनमें कौरवों के सौ पुत्रों के आगे पाँच पाण्डव भारी पड़े थे या इक लख पूत सवा लख नाती वाले रावण के घर में दो वनवासी युवाओं ने दिया बाती करने वाला भी कोई नहीं छोड़ा था। प्रतिशत की खोज में टकराव छुपा रहता है।
नौकरियों में आरक्षण के सवाल पर यह नहीं देखा जाता कि पदों की संख्या कितनी घटती जा रही है, पर यह जरूर देखा जाता है कि उसमें किस वर्ग का कितना आरक्षण है। हमारी अदालतें भी ध्यान रखती हैं कि नौकरियां चाहे जितनी घट जायें पर उनमें आरक्षण का प्रतिशत नहीं बढना चाहिए।
इकतीस प्रतिशत वोट लेकर वनस्पति शास्त्र वाले कमल के फूल ने 380 सीटें जीत कर देश पर अधिकार कर लिया किंतु चार प्रतिशत वोट लेकर भी हाथी ने अंडा देकर प्राणी विज्ञान के नियम को बदल दिया। यह सब गणित का खेल है।
पिछले दिनों देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गौरक्षकों का प्रतिशत निकाला। वे आमसभाओं के बहादुर हैं इसलिए जो बातें सदन में बोलना चाहिए उसे आमसभाओं में बोलते हैं। उन्होंने कहा कि बीस प्रतिशत गौ रक्षक ही असली हैं बाकी के अस्सी प्रतिशत गौरक्षक नकली हैं। ये अस्सी प्रतिशत रात में काले धन्धे करते हैं और दिन में गौरक्षक बन कर आ जाते हैं। वे प्रधानमंत्री हैं इसलिए उनकी बातों का वज़न होता है, भले ही वे कितनी भी हल्की बात करें। वे सदन में बोलते तो सदस्य सवाल पूछ सकते थे कि
·         देश में कुल कितनी गायें हैं?
·         इन गायों में देशी कितनी हैं और जर्सी कितनी हैं? [ वे उन्हें देश की एक नेता के लिए प्रयुक्त उनके बयान की याद भी दिला सकते थे जिसमें उन्होंने विदेशी मूल के लिए जर्सी गाय और उसके बछड़े को प्रतीक बनाया था]
·         क्या जर्सी गाय की पूंछ पकड़ कर भी वैतरणी पार की जा सकती है?
·         क्या नील गाय भी गाय है, यदि है तो उसके शिकार की अनुमति क्यों?
·         प्रतिशत बिना कुल संख्या के नहीं निकाला जा सकता इसलिए देश में कुल कितने गौरक्षक हैं?
·         इनमें से कितनों ने शपथ ली हुयी है कि वे केवल गाय के ही घी दूध का प्रयोग करेंगे?
·         इनके असली नकली होने की पहचान कैसे स्थापित की गयी है?
·         जब देश के प्रधानमंत्री को अस्सी प्रतिशत गौसेवकों के रात के काले धन्धे का पता है तो क्या उनकी सरकार केवल गिनती कर रही है?
·         असली गौरक्षकों का धन्धा क्या है?
·         क्या ऐसा असली नकली का छ्द्म रामभक्तों में भी नहीं है?
·         क्या दादरी में अखलाख की हत्या करने वाले असली गौ भक्त थे या नकली?
·         राजस्थान की गौशालाओं वाले असली हैं या नकली?
सदन के बाहर किसी अध्यक्ष को सम्बोधित करके नहीं बोलना पड़ता अपितु भीड़ को सम्बोधित करना होता है। और वैसे भी हमारे देश में सवाल पूछने वाले नचिकेताओं की गरदन उड़ा दी जाती है।  
 

   

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