गुरुवार, 15 सितंबर 2016

व्यंग्य टूटने का समय

व्यंग्य
टूटने का समय 
दर्शक
बशीर बद्र ने कहा है-
लोग टूट जाते हैं, एक घर बनाने में
तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में
जहाँ से देखो वहाँ से टूटने की खबरें आ रही हैं। टूटना इस दौर की प्रमुख घटना बन गई है। किसी फिल्मी गीत में कहा गया है कि -
शीशा हो या दिल हो आखिर ..... टूट जा...ता है, टूट जाता है।
पहली खबर राहुल गाँधी की खाट सभा से आयी थी जहाँ सभा के बाद खाटें लुट ही नहीं रही थीं लुटने में टूट भी रही थीं। जिसको जो मिला वो उसी को ले भागा। काँग्रेस के टूटने का तो पुराना सिलसिला है जिसमें कभी नई काँग्रेस, पुरानी काँग्रेस, जन काँग्रेस, नैशनल काँग्रेस, केरल काँग्रेस, और न जाने कितनी कितनी काँग्रेसें टूट टूट कर गिरती पड़ती रही हैं। इस काँग्रेस के टुकड़े हजार हुए कोई यहाँ गिरा कोई वहाँ गिरा। जिन्होंने काँग्रेस नाम नहीं भी रखा पर वो काँग्रेस होते गये जिसका ताजा उदाहरण पिछले दिनों अटल बिहारी सरकार के विनिवेश मंत्री रहे अरुण शौरी के बयान से मिला जिन्होंने मोदी सरकार को गाय प्लस काँग्रेस बताया है। काँग्रेस टूट कर भी काँग्रेस रहती है जैसे किसी कवि के पास खाट का केवल एक पाया बचा था और जब वह उसे बेचने निकला तो उसने आवाज़ लगायी-
खाट लो खाट
सियरा [सिरा] नहिं है, पाटी नहिं है
बीच का झकझोल नहिं है
चार में से तीन नहिं है
खाट लो खाट
राहुल गाँधी इसी तरह से काँग्रेस की खाट यूपी में लुटा रहे हैं।
भाजपा ने जब देखा कि खाट तुड़वा कर काँग्रेस मीडिया के माध्यम से पूरे देश में छायी जा रही है तो उसके अध्यक्ष को बहुत बुरा लगा। उन्होंने हर सूरत में अपनी पार्टी को काँग्रेस के मुकाबले में कड़ा करना चाहा और गुजरात के सूरत में अपनी आमसभा में कुर्सियां तुड़वा लीं। इस सभा में दो साल से कुर्सी तोड़ रही आनन्दी बेन भी थीं और नये मुख्यमंत्री भी थे। कुर्सियां टूटती ही नहीं उछलती भी हैं इसलिए उन्होंने सावधानी यह बरती कि कुर्सियों की उछाल को जनता के बीच तक सीमित रखने के लिए मंच की तरफ जाली लगवा कर रखी थी। शायद अगली आमसभा में नेता बुरका पहिन कर आयेंगे और भाषण देने से पहिले ही बुरका उतारेंगे, व भाषण देने के बाद फिर पहिन लेंगे।
टूटन हर गठबन्धन सरकार को धोखा देने वाले मुलायम की पार्टी में भी चल निकली है। चाचा भतीजा आमने सामने हैं। मुख्यमंत्री भतीजा चाचा से मंत्रालय छीन रहा है तो चाचा ने यूपी समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष पद छीन लिया। जहाँ अमर सिंह पहुँच गये हों वहाँ परिवार वाले भी एक कैसे रह सकते हैं। उसने सबकी नसें दाब रखी हैं। लगता है कि अखिलेश और मौनी बाबा बने आज़म खान अच्छे लड़के राहुल से गले मिल जायेंगे और अमर सिंह बाकी की समाजवादी भैंसों को अपने वकील अरुण जैटली के खटाले में बाँध देंगे।   
उत्तर प्रदेश में टूटन शुरू हो गयी हो तो बिहार कैसे बचा रह सकता है जहाँ पहले से टूटे हुए ही जोड़ लगा कर बैठे हों। परिस्तिथिजन्य मुख्यमंत्री नीतिश कुमार कब तक पूंछ से पूंछ बाँधे बैठे रह सकते हैं। रहिमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय / जोड़े से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय। वहाँ बहाना शहाबुद्दीन बन गये। अगर ऐसी दशा में ही नहीं टूटे तो कब टूटेंगे जब एक जाना माना आरोपी चुनौती दे रहा हो।
मायावती की पार्टी का नाम बहुजन समाज पार्टी है पर उससे क्या होता है, आखिरकर तो वह मायावती पार्टी ही है। उसके विधायक प्रतिदिन के हिसाब से भाजपा के शो रूम में बिकने के लिए तोड़े जा रहे हैं। 
अधूरे राज्य दिल्ली की सरकार में बैठी आप पार्टी तिल तिल कर के टूट रही है। केन्द्र की सरकार शिकारी की तरह एक एक विधायक को टपका रही है। चुनाव में जीत का गणित बिठा लेने वाले मोदी का विरोध तो अलोकतांत्रिक है किंतु चुनाव में जीते केजरीवाल की पार्टी को सामदाम दण्ड भेद से तोड़ना लोकतांत्रिक है।
कश्मीर टूटने के कगार पर पहुँचा दिया गया है किंतु सत्तालोभी भाजपा और पीडीपी का गठबन्धन अब टूटे कि तब टूटे के चरम बिन्दु पर है।

टूटन का डर इतना है कि बकौल दुष्य़ंत कुमार -
सिर से सीने में कभी, पेट से पाँवों में कभी
एक जगह हो तो कहें दर इधर होता है 

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