मंगलवार, 19 जनवरी 2016

व्यंग्य मान न मान मैं तेरा मेहमान

व्यंग्य
मान न मान मैं तेरा मेहमान
दर्शक

भाजपा कहती रही है कि वे चाहते हैं कि मुसलमान हों तो रहीम और रसखान जैसे हों। भाजपा के लोग हिन्दुत्व को त्रिपुंड की तरह पोतने का काम तो लेते हैं पर न तो हिन्दुत्व के बारे में जानते हैं और न ही जानने की कोशिश ही करते हैं। यही हाल रहीम रसखान आदि के बारे में है। मोदीजी ने रहीम का वह दोहा याद नहीं रखा जिसमें वे कहते हैं-
आवत ही हर्षै नहीं, नैनन नहीं सनेह
रहिमन वहाँ न जाइए, कंचन बरसै मेह
मोदी जी भी आजकल जबरदस्ती मेहमान बनने के मामले में अमर सिंह हुये जा रहे हैं। आपको याद होगा कि किस तरह अमर सिंह कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत के साथ बिना बुलाये सोनिया गाँधी के यहाँ डिनर पर पहुँच गये थे। मोदी जी भी यही कर रहे हैं।
हुज़ूर आप का भी एहतेराम करता चलूं 
इधर से गुजरा था सोचा सलाम करता चलूं..
कोई तो देश की सीमा में रह कर ही यह करता है पर मोदी जी देश में रहते ही कहाँ हैं! सुना है उनके उतरते समय हवाई जहाज का पायलट पूछता है कि साब इंजन बन्द कर दूं कि चालू रखूं?
दतिया के एक पहलवान का किस्सा है कि वे स्टेशन पर बैठे हुए ट्रैन का इंतजार कर रहे थे। किसी परिचित ने सद्भाव में पूछ लिया कि पहलवान साब कहाँ जा रहे हैं?
‘दिल्ली’ उनका उत्तर था।
थोड़ी देर में बम्बई की ओर जाने वाली गाड़ी आयी तो वे उसमें सवार हो गये। प्रश्नकर्ता को भी उसी ओर जाना था और वह गाड़ी में बैठते हुए कहने लगा कि आप तो कह रहे थे कि दिल्ली जा रहे हैं!
‘परदेस, परदेस सब बराबर. चाहे दिल्ली जाओ या बम्बई’ पहलवान ने ठंडी साँस भर कर कहा।
मोदीजी नवाज शरीफ के यहाँ बिन बुलाये मेहमान बन कर पहुँच गये। बहर हाल शरीफ ने शराफत दिखायी और उन्हें ‘ जैसी तुम्हारी माताजी, वैसी हमारी माताजी’ कहते हुए पाँव छूने का अवसर दिया। गनीमत रही कि किसी ने टोपी लगाने को नहीं बोला बरना बड़ा धर्म संकट खड़ा हो जाता। गनीमत यह भी रही कि अम्मीजान ने यह भी नहीं पूछा कि बेटे बहू कैसी है!
बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ, छोटे मियाँ सुभान अल्लाह। राम माधव जी तो ऐसा बताने लगे जैसे कि मोदी बिना वीजा के पाकिस्तान हो कर नहीं जीत कर आये हों। वे तो भारत, पाकिस्तान और बाँगलादेश को एक करने का सपना देखने लगे। मुँगेरी लालों की कमी थोड़ी है।
असली संकट वीर रस के कवियों पर आ गया। एक ऐसे ही चारों ओर सहिष्णुता फैली देखने वाले कवि के सिर पर पट्टी बँधी देख कर मैंने पूछ लिया कि क्या हुआ, तो उनके बोलने से पहले ही उनकी पोती बोल उठी कि दादाजी ने अपना सिर दीवार पर मार लिया था। मोदीजी के पकिस्तान में अम्मीजान के पाँव छूने की खबर आने के बाद वे कह रहे थे कि मैं तो लुट गया, बरबाद हो गया। अब किसकी ईंट से ईंट बजायेंगे! किसकी छाती पर तिरंगा गाड़ेंगे। 

दूसरी तरफ मोदी भक्त सोशल मीडिया वालों ने अपने कम्प्यूटर तोड़ डाले। फिर वही रूस वही अफगानिस्तान और पाकिस्तान। अब नकली नकली नामों से किसको गाली बकेंगे! जिस नफरत पर ज़िन्दा थे उसी को पलीता लगा दिया। कुछ तो पूछ रहे थे कि सरयू में कहाँ कितना गहरा पानी है। ऐसे लोगों के लिए चुल्लू भर काफी नहीं होता।         

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