मंगलवार, 19 जनवरी 2016

व्यंग्य हम बोलेगा तो बोलेगा कि बोलता है

व्यंग्य
हम बोलेगा तो बोलेगा कि बोलता है
दर्शक
बयानों के बीच बिहार में जो दो तिहाई बहुमत से जीत रहे थे वे लोकसभा चुनाव परिणामों के हिसाब से एक चौथाई और पिछली विधान सभा के चुनाव परिणामों के हिसाब से आधे रह गये। पर ढीठ तो ढीठ होते हैं, सौ सौ जूते खाँये तमाशा घुस के देखेंगे। बेशर्मी के चरम शिखर पर बैठ कर वे झाबुआ-रतलाम लोकसभा चुनावों के उपचुनाव के बारे में भी ऐसी ही घोषणाएं कर रहे थे। बुन्देलखण्ड में ऐसे लोगों को मुँह का जबर कहा जाता है। सच कुछ भी हो, कहने में क्या जाता है!
आइए थोड़ा सा दार्शनिक हो लिया जाये। जीवन है तो मृत्यु भी है। कहा जाता है कि 
- आया है सो जायेगा राजा रंक फकीर। जीवन पानी केरा बुलबुला है। बाल्टी में झाग उठा कर भरी बाल्टी दिखाने वाले उसे कब तक भरी दिखा सकते है। झाग कब तक उठा रह सकता है, उसे तो बैठ ही जाना है। जितना घूम सकते हो सो घूम लो और हरे लाल पीले नीले जितने भी सूट सिलवा रखे हैं सब पहिन डालो।

सैर कर दुनिया की ग़ालिब ज़िन्दगानी फिर कहाँ
ज़िन्दगानी भी रही तो ये जवानी फिर कहाँ

अध्यक्ष महोदय कह ही चुके हैं कि साठ साल में रिटायर हो जाना चाहिए। आगे तो फिर मार्गदर्शक मण्डल का रास्ता है जो ब्रेन डैडों के मुहल्ले में खुलता है। इस मुहल्ले में अभिव्यक्ति की केवल इतनी आज़ादी है कि परदानशीन औरतों की तरह छोटी सी खिड़की का एक पल्ला खोल कर बयान दे दो और फिर झट से खिड़की बन्द कर लो। इतने से दुस्साहस में ही तो ब्लड प्रैसर बढ जाता है। जानते नहीं हो मदनलाल खुराना कहाँ हैं, जसवंत सिंह कहाँ हैं, अटल बिहारी कहाँ हैं। ट्विटर का जमाना है, बस चहकना ही हो सकता है। भोला सिंह जैसे छोटे बाजपेयी जैसे लोग तक छुप छुप कर बोल रहे हैं। गोबिन्दाचार्य के स्वर तो ऐसे निकलते हैं जैसे भूमिगत नेता हों। जो कुछ बोल बाल कर चुप हो जा रहे हैं वे भी जानते हैं कि विज्ञापनों की मार में मीडिया आर के सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा को कितनी जगह देगा। उमा भारती ने खूब बोल कर देख लिया अब मौन साधना में लीन हैं। बीच बीच में उन्हें आसाराम जरूर याद आ जाते हैं, जिन्हें उनके अनुसार ईसाई सोनिया गाँधी ने झूठा फँसा दिया है। अब भाजपा नेता सुब्रम्यम स्वामी उनका केस लड़ेंगे। कुछ दिनों पहले उन्होंने फ्रांस से राफेल विमान खरीदने को गलत फैसला बताया था, पर एक सप्ताह बाद रात में लक्ष्मी मैया ने उन्हें दर्शन दे कर कहा कि राफेल विमान खरीदने का फैसला गलत नहीं है, सो उन्होंने चुप लगा ली।
रहिमन चुप ह्वै बैठिए देख दिनन के फेर
जब नीके दिन आयेंगे बनत न लग है देर

शांता कुमार शांत बैठ गये हैं, येदुरप्पा हाथों को केवल गले मिलने के लिए ही खोलते हैं, मुरली मनोहर मुरली बजा रहे हैं सब चुप हैं और कह रहे हैं कि अभी इमरजैंसी नहीं लगी है।
ये साक्षी महाराजों, निरंजन ज्योतियों, गिरिराज सिंहों, आदित्यनाथों के बोलने का समय है।कभी कभी संघ प्रमुख सुर्री छोड़ देते हैं, तो कभी राज्यपालों के श्री मुखों से उद्गार फूट पड़्ते हैं। सुषमा स्वराज तक को जब विदेश जाना चाहिए तब वे विदिशा जा रही हैं।  पार्टी का वातावरण बहुत सहिष्णु है, सब सह रहे हैं। जो फिल्मों में दूसरों के लिखे हुए डायलोग बोलते रहे हैं वे परेश रावल, हेमामालिनी, अनुपम खेर बोल सकते हैं।
    

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