मंगलवार, 3 मई 2016

व्यंग्य हेडली जनवा

व्यंग्य
हेडली जनवा
दर्शक
कभी जब हम गर्व के साथ कहते थे कि भारतवर्ष गाँवों का देश है और उसी गर्व के साथ गाते थे कि- है अपना हिन्दुस्तन कहाँ, वह बसा हमारे गाँवों में। तब हर गांव में जनवा होते थे। जनवा नहीं समझते हैं ना........ अरे भाई जनवा माने जानकार। ये जनवा हर चीज जानते थे। गाँव वालों के लिए जो चीजें भगवान की माया में नहीं अट पाती थीं, वे उन्हें जानने की कोशिश करते थे और जनवा लोगों तक जाते थे, जिनके बारे में भरोसा था  कि वे सब कुछ जानते हैं। अगर कभी कभी किसी जनवा के ज्यादा अनुमान गलत निकल जाते थे तो उसे लाल बुझक्कड़ कह कर डिमोट कर दिया जाता था।
अब बात दूसरी हो गयी है। ये प्राचीन शल्य चिकित्सा पर गर्व करने वाले विकासवादी मोदी का युग है। यह स्मार्ट सिटी और बुलेट ट्रैन के साथ बीफ खाने वालों को मार दिये जाने का समर्थन करने वालों व उन्हें हरियाना की सीमा में न घुसने देने के फतवे जारी करने वाली सरकारों का युग हैं। अब ज्ञान जनवा नहीं गूगल बाबा देते हैं। पर एक दिन ऐसा भी आता है जब सेर को सवा सेर मिल जाता है। सो अब गूगल बाबा को हेडली बाबा मिल गये। आज कल हमारा जगदगुरु देश जो कुछ भी पूछना चाह रहा है वह हेडली बाबा से पूछता है। सवाल पूछने के लिए भी हमें एक उज्जवल निकम मिल गये हैं जो पेशे से तो सरकारी वकील हैं पर सवाल उस्ताद और जमूरे वाले अन्दाज में करते हैं। गिली गिली डम, गिली गिली डम।
उज्जवल जी को अगर आप नहीं जानते हों तो आपको याद दिला दूं कि ये वही उज्जवल निकम हैं जो कसाव को जादुई बिरयानी खिलवा चुके हैं और मोदी के चुनाव जीत जाने के बाद उन्होंने स्पष्ट किया कि कसाव ने न तो बिरयानी मांगी थी और न ही उसे खिलवायी गयी थी, वो तो उन्होंने यूं ही किसी पत्रकार के पूछने पर कह दिया था। निकम साहब ने यह खंडन तब भी नहीं किया जब पूरे देश के लोग कसाव को बिरयानी खिलवाने वाले देशद्रोहियों और उसे बिना न्याय का पूरा अवसर दिये मार डालने वाले लोगों के बीच होने वाले चुनाव में उतर चुके थे। बहरहाल ऐसे हरिश्चन्द्र निकम जी को अब पद्मश्री का सम्मान घोषित हो चुका है और कुछ ही दिनों बाद वे पद्मश्री का पट्टा गले में लटकाये नज़र आयेंगे।
हेडली कसाव के भी बास् रहे हैं पर सरकार ने उन्हें अभयदान दे दिया है। जिस कसाव के अपराध पर सजा को न्यायिक परिणिति तक पहुँचाने से पहले फाँसी दिलाने की मांग करने वाले लोगों ने ही हेडली की सजा को माफ करने का फैसला लिया। ये ही निकम साहब अब हेडली से वह सब भी पूछ रहे हैं जिसका उनके काम से कोई मतलब नहीं पर जिसके सहारे से सरकारी पार्टी विपक्षी पार्टी को देशद्रोही घोषित कर सकती है। उन्होंने हेडली बाबा से पूछा तुम्हारे मिशन में क्या कोई महिला सुसाइड बाम्बर थी तो वह कहता है कि फलाँ साहब, अलाँ साहब से कुछ बात तो कर रहे थे कि कोई मिशन था जो फेल हो गया था। यह सुनते ही निकम साहब खुश हो जाते हैं और नाम पूछते हैं जो उसे याद नहीं तो वे अमिताभ बच्चन बन कर आप्शन देते हैं और मनपसन्द नाम आने पर लाक कर देते हैं। अब भाजपा प्रवक्ता फड़फड़ा कर कहने लगते हैं कि इशरत जहाँ की एंनकाउंटर के नाम पर हुयी हत्या उचित थी। उसका विरोध करने वाले गद्दार हैं।

निकम साब ने हेडली बाबा से यह नहीं पूछा कि काला धन कब तक वापिस आयेगा? पन्द्रह पन्द्रह लाख कब तक खाते में आ जायेंगे, किसान आत्महत्या करना कब बन्द कर देंगे? व्यापम की जाँच में लिब्राहन आयोग ने बाबरी मस्ज़िद तोड़ने की जाँच में जितना समय लिया उससे अधिक समय लगेगा या कम? आदि। पता नहीं हेडली बाबा के आ जाने से सुब्रम्यम स्वामी खुश हैं या नहीं क्योंकि जनवा वे भी कम नहीं हैं।       

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