मंगलवार, 3 मई 2016

व्यंग्य केन्द्र की सरकार और बाबाओं की दरकार

व्यंग्य
केन्द्र की सरकार और बाबाओं की दरकार
दर्शक
राम भरोसे मेरा ऐसा शुभ चिंतक है कि हमेशा मेरा नाम आगे रखना चाहता है, विशेष रूप से जब खतरे के हालात हों। अग्रो अग्रो ब्राम्हणः, नदी नारा वर्जते। पिछले कई वर्षों से वह मेरी योग्यता की प्रशंसा करते हुए कहता है कि मुझे प्रधानमंत्री बनने के लिए प्रयास करना चाहिए। आधार पूछने पर कहता है कि तुम्हारी जन्मकुण्डली में वियोग की प्रबलता है, इसलिए तुम इस पद के लिए सुयोग्य हो।
‘ ज्योतिष में मेरा भरोसा नहीं’  मैं प्रगतिशीलता की श्रेष्ठता के दम्भ वाला सिर ऊपर उठाते हुए कहता हूं।
‘वह ठीक है पर ज्योतिष तो अपना काम करता है, वह तुम्हारे भरोसे के भरोसे थोड़े ही बैठा रहता है’
‘पहले के जमाने में वियोगी कवि हुआ करते थे, प्रधानमंत्री नहीं’
‘अब जमाना बदल गया है’
‘पर मैं प्रधानमंत्री नहीं बन सकता, नहीं बन सकता, नहीं बन सकता, समझे!
      पर तुम क्यों नहीं बन सकते, क्यों नहीं बन सकते, क्यों नहीं बन सकते! तुम अन्डर एज नहीं हो, दीवालिया नहीं हो, सजाओं से बचे हुए हो, और घोषित रूप से पागल भी नहीं हो, इसलिए प्रधानमंत्री बनने की सारी पात्रताएं तुममें हैं। 
‘एक पात्रता मुझ में नहीं है’
‘वह क्या?’
‘मेरे पास कोई बाबा नहीं है, और बाबा से मेरा मतलब यहाँ छोटे बच्चे से नहीं है.’
      ‘तो किस से है? ‘
      ‘बाबा से मेरा मतलब बाबाजी से है। हमारे जगत गुरु देश के प्रत्येक प्रधानमंत्री के पास कोई न कोई बाबा होना अनिवार्य होता है, एक बार भले ही उसके पास सचिव न हो, पर बाबा होना जरूरी है। श्रीमती इन्दिरा गाँधी के पास धीरेन्द्र ब्रम्हचारी थे, तो नरसिम्हा राव के पास चन्द्रा स्वामी थे। अटल बिहारी के आसाराम के साथ डांस करते हुए वीडियो वायरल हुये हैं।  चन्द्रशेखर तो खुद ही भोंडसी आश्रम के बाबा हो गये थे। चरनसिंह के साथ बाबा राजनारयण जी जैसे राजनीतिक बाबा थे, जिन्होंने खुद उन्हें ही बाबा बना कर छोड़ दिया था। नरेन्द्र मोदी के पास तो बाबा, तीतर के दो आगे तीतर, तीतर के दो पीछे तीतर, आगे तीतर, पीछे तीतर की तरह लगे रहते हैं। पहले बाबा रामदेव लगे रहे, अब श्री श्री आ गये हैं। कई बाबाओं को तो उन्होंने सांसद पद पर सुशोभित करवा दिया है और कुछ को तो मंत्री बनवा दिया है। अब अगर मैं प्रधानमंत्री बन गया तो बाबा कहाँ से लाऊंगा?’
      ‘अरे बाबा तो खुद ही प्रधानमंत्री को तलाश लेते हैं’
      ‘तलाश लेते होंगे, पर बाबाओं की आपसी प्रतिद्वन्दिता भी ऐसी की तैसी करा देती रही है। इसीलिए तो कहावत बनी थी कि ज्यादा जोगी मठ उजाड़। आसाराम दवाइयां बेचता था सो उसकी प्रतियोगिता में रामदेव ने तो दवा के नाम पर पूरे हिन्दुस्तान को किराना स्टोर बना डाला। जंगल के जंगल जड़ से उखाड़ डाले। अब उनके धन्धे को चूना लगाने के लिए श्री श्री नाचने गाने लगे हैं। मुझे तो लगता है कि ये बाबा देश भर के किराना व्यापारियों की दुकानें बन्द करा के मानेंगे जहाँ से कभी कभी उधार भी मिल जाता था।‘
      रामभरोसे समझाने के अन्दाज़ पर उतर आया। बोला- अपनी शक्ल कितने दिन से आइने में नहीं देखी? तुम खुद ही मोदी की तरह बाबा दिखने लगे हो, मान जाओ और प्रधानमंत्री बन जाओ।‘

      मैंने विचार करने का भरोसा देकर उसे विदा किया। पर मैं दृढप्रतिज्ञ हूं कि भले ही किसी प्रधानमंत्री का बाबा बन जाऊं पर प्रधानमंत्री नहीं बनूंगा।    

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