मंगलवार, 3 मई 2016

व्यंग्य चाण्डाल योग में डर

व्यंग्य
चाण्डाल योग में डर  
दर्शक
रामभरोसे फिर संकट में है वह तय नहीं कर पा रहा है। लगता है ऐसा ही संकट पहले भी आया होगा जब लिखा गया होगा कि-
गुरु गोबिन्द दोऊ खड़े काके लागूं पाँव
पर उस समय तो गुरु ने गोबिन्द की तरफ इशारा करके लाज रख ली पर अब तो मामला ही पलट गया है। शंकराचार्य स्वरूपानन्द जी कह रहे हैं कि खबरदार जो साँई के मन्दिर की ओर देखा भी। रामभरोसे भक्त आदमी है, भगवान को ‘बेनीफिट आफ डाउट’ दे के चलता है। हाथ जोड़ने में क्या जाता है! अगर सचमुच हुआ तो फिर क्या रास्ता है! इसलिए ‘हमारी भी जय जय, तुम्हारी भी जय जय, न हम हारे न तुम हारे’ गाते हुए चलता है। सर्व धर्म समभाव इसी को कहते हैं, कि सबसे डर कर रहो।
बड़ी अड़चन है, साँई तो मूर्ति के रूप में विराजमान हैं पर शंकराचार्य तो साक्षात सामने हैं अपना धर्म दण्ड लिये हुये। साँई में उसका मन रमता है पर वह शंकराचार्य और उसके भक्तों से डरता है। पिछले दिनों मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सिंहस्थ के सफल आयोजन के लिए उनसे आशीर्वाद लेने गये थे और घबराया हुआ मुँह लेकर निकले थे। शंकराचार्य ने कह दिया था कि यह सिंहस्थ चाण्डाल योग में पड़ रहा है जिसमें शासक या शासन का बड़ा नुकसान सम्भव है। मुक्ति के लिए सवालाख पाठ करवाना पड़ेगा। पता नहीं सिंहस्थ के बजट में इसका प्रावधान है या नहीं। कई वर्ष पहले इन्हीं मुख्य मंत्री ने बारिश के लिए यज्ञ करवाने हेतु महाराष्ट्र से पण्डित बुलवाये थे जिससे पण्डितों के पक्ष में धन की वर्षा तो हुयी थी। इस वर्ष तो पूरा मराठवाड़ा ही सूखे की चपेट में हैं बेचारे पण्डित बिना दक्षिणा के अपने गाँव में भी यज्ञ नहीं करते होंगे। कुछ ही दिनों बाद संघ ने उनके संगठन सचिव को बदल दिया जो टिकिट खिड़की पर बैठता था। पूरी भाजपा में प्रसन्नता की ऐसी लहर दौड़ गयी जैसे आईपीएल मैच फ्री में देखने के लिए गेट खोल दिये गये हों।
अब शंकराचार्य कह रहे हैं कि साँई की पूजा के कारण सूखा पड़ रहा है। वे साँई मन्दिर में धन की वर्षा होते देख कर पहले से ही कुपित थे। कैसे लोग हैं कि जनगणना में धर्म के नाम पर हिन्दू लिखायेंगे और सोना चढाने के लिए हिन्दू मुस्लिम दोनों के आराध्य साँई के मन्दिर में जायेंगे! क्या विडम्बना है। उन्होंने तो एक पोस्टर भी जारी कर दिया था जिसमें हनुमानजी पेड़ उखाड़ कर साँई को दौड़ा रहे हैं। जब तक साँई मन्दिर के चढावे की रकम और स्वर्णाभूषणों का खुलासा नहीं हुआ था तब तक वे चुप थे पर अब तो लग रहा है कि हिन्दू भक्तों की लूट हो रही है, वे कैसे सहन कर लें। अब तो कांटा भी चुभता है तो वह साँई पूजा के कारण चुभता है।
धर्म डरा के चलता है। डर न हो तो पूरी दुनिया धर्म को ठेंगे पर रख कर चले। नर्क के ऐसे ऐसे भयानक पोस्टर छपवाये जाते हैं जैसे नर्क के दूत न हो आईएसआईएस के बगदादी के सिपाही हों। किसी को जलाया जा रहा है किसी को काटा जा रहा है, किसी को भेदा जा रहा है तो किसी को उल्टा लटकाया जा रहा है। इस लोक में जिससे डरते रहे हो वही नर्क में मिलेगा इसलिए डरो। मुसलमानों के नर्क में आग है तो ईसाइयों का नर्क बर्फीला है। एसी केवल स्वर्ग में लगे हैं। शंकराचार्य ने महिलाओं को डराया कि शनि शिगणापुर मन्दिर में महिलाओं का प्रवेश भी दुर्भाग्य साबित होगा। शनि एक क्रूर ग्रह है और उसकी पूजा से महिलाओं के खिलाफ बलात्कार जैसे अपराध बढ़ेंगे। डरो डरो और डरो।
धर्म की सबसे बड़ी समस्या है कि लोगों ने डरना बन्द कर दिया है। इमरजैंसी के दौरान शोले फिल्म आयी थी जिसमें डायलाग था कि जो डर गया वो मर गया। इसी फिल्म का जब यह डायलाग पोपुलर हुआ कि अब रामपुर वालों ने डरना बन्द कर दिया है तब इमरजैंसी हटाना पड़ी थी। अब जब कन्हैया जगह जगह से जूते चप्पल इकट्ठा करते हुए कहता है कि मुझे डराना बन्द कर दो मैं डरने वाला नहीं हूं तब वे पिस्तौल और कारतूस के साथ बस में चिट्ठी छोड़ जाते हैं, अब तो डरेगा। और तो और सोनिया गाँधी तक ने हेलीकाप्टर सौदे में नाम आने पर कहा में दरने वाली नईं ऊं, मुझे दराना बन्द कर दो।
      मैंने रामभरोसे को मंत्र दिया है- डर लगे तो गाना गा।


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