सोमवार, 21 मई 2018

व्यंग्य बाय फ्रेंड और लड़कियों के प्रति अत्याचार


व्यंग्य
बाय फ्रेंड और लड़कियों के प्रति अत्याचार
दर्शक
भाजपा के लोगों का जबाब नहीं, ऐसी ऐसी तरकीबें जानते हैं कि जी करता है दांतों तले उंगली तो क्या पूरा पंजा दबा लें चाहे वह कांग्रेस का ही पंजा क्यों न हो। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की पेशी भी प्रदेश को इस उच्च स्तर पर पहुंचने के लिए दिल्ली में होती रहती है। अभी मध्य प्रदेश के एक और विधायक ने प्रदेश में बेटी बचाने की चिंता में एक सूत्र दिया कि लड़्कियों पर अत्याचार का एक कारण यह है कि वे बाय फ्रेंड बनाती हैं। शायद पाँच साल, तीन साल, विक्षिप्त लड़कियों के साथ हो रहे अत्याचारों के बारे में उनकी यही सोच काम करती है। दर असल यह उसी क्रम को आगे बढाती है जिस क्रम में भाजपा के एक पूर्व विधायक ने कहा था कि मौसमों की मार से बचने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। लगता है कि भविष्य में ओले कृषि बीमा का भुगतान करने से पहले बीमा कम्पनियां क्लेम फार्म में एक कालम यह भी जोड़ेंगी जिसमें पूछा जायेगा कि कृषक का धर्म क्या है, वह शैव [शिव की पूजा करने वाला] शाक्त [ शक्ति अर्थात देवी की पूजा करने वाला] या वैष्णव [ विष्णु के अवतारों की पूजा करने वाला] है। अगर किसान वैष्णवों में राम के दूत हनुमान की स्तुति में लिखा हनुमान चालीसा का पाठ नहीं करता तो उसे जरूरी सावधानी न बरतने के कारण बीमा राशि नहीं दी जायेगी।
राम भरोसे स्वप्न देखता है कि धीरे धीरे सारी कृषि भूमि केवल हनुमत उपासकों के पास पहुँच जायेगी और देश हिन्दू राष्ट्र बन जायेगा।
योगी द्वारा खाली की गयी सीट पर भले ही इंजीनियर निषाद समाजवादी टिकिट पर जीत जाते हों और जीत कर बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर के अन्दाज में हिन्दू धर्म छोड़ने की घोषणा करते हों, किंतु उनके अध्यक्ष पहलवान मुलायम पुत्र अखिलेश यादव गर्व से कहते हैं कि वे योगी से ज्यादा बड़े हिन्दू हैं। वे नवरात्रि के पूरे नौ दिन तक अन्न नहीं खाते जबकि राज्यसभा चुनावों में तिकड़म के सहारे मिली जीत की खुशी में योगी बेसन से बने मोतीचूर के लड्डू खाते दिखते हैं। राजनीति में अब मूल्यांकन इसी आधार पर होगा कि कौन नौ दिन फलाहार करता है और कौन फल प्राप्त करके लड्डू खाता है। हो सकता है कि कल के दिन दलाल मीडिया के टुकड़खोर ये कहने लगें कि योगी जी ने जो लड्डू खाया था वह बेसन का बना हुआ नहीं था अपितु गाजर से बना हुआ था। मीडिया में सरकारी विज्ञापनों की बाढ आयी हुयी है।
मध्य प्रदेश में ऐसा पहले भी हो चुका है। भगवा भेष में रहने वाली राजनेता उमा भारती जो साध्वी भी कहलाती हैं ने हनुमान जी के बर्थडे पर केक चढाया था जिसके फोटो समाचार पत्रों में छपवाये गये थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने गुप्तचर ज्ञान से बताया था कि केक में अंडा था व वैष्णव देवता को अंडे वाला केक चढा कर उन्होंने उनका अपमान किया है। उमा भारती के गुप्तचरों ने जब पुष्ट कर लिया कि भक्तों द्वारा पूरा परसाद उदरस्थ किया जा चुका है तब बयान दिया कि उस केक में अंडा नहीं था। देश के दो बड़े राजनीतिक दलों में कई दिनों तक इस बात पर बहस हुयी कि केक में अंडा था या नहीं?
अम्बेडकर का नाम भजने वाली मायावती ने धमकी तो कई बार दी कि वे हिन्दू धर्म छोड़ देंगीं, पर छोड़ा कभी नहीं। उनसे आगे बढ कर तो कर्नाटक की कांग्रेसी सरकार ने यह बहस केन्द्र में ला दी है कि लिंगायत हिन्दू हैं या नहीं। आरएसएस आदिवासियों को हिन्दू बनाने के लिए अभियान चला रही है वहीं उनके लिंगायतों पर खतरा नजर आने लगा है और भाजपा को उनकी काट नहीं मिल रही है। चौबे जी छब्बे बनने चले थे दुबे बन कर लौटे। याद है, मन्डल ने कमंडल को फुटबाल बना कर छोड़ दिया था।
मोदी के आदर्श देश अमेरिका तक के स्कूलों में होने वाले गोलीकांडों से बचने के लिए नुकील पत्थर रखवाये जा रहे हैं ताकि वक्त जरूरत मासूम बच्चे उनका स्तेमाल कर सकें। इस पूंजीवादी दुनिया में सब पत्थर युग में लौट रहे हैं।      

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