गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

व्यंग्य सोशल मीडिया पर अनसोशल नियंत्रण

 

व्यंग्य

सोशल मीडिया पर अनसोशल नियंत्रण

दर्शक

मैं कुछ कुछ गुस्से और कुछ उदासी अर्थात खीझा हुआ था कि तभी हुमकता हुआ राम भरोसे आ गया। मैंने कुढ कर पूछा- क्या हुआ, आज बहुत खुश नजर आ रहे हो?

“ क्यों नहीं आज बात ही खुशी की है” वह बोला

“ऐसी क्या बात हो गयी?” मैंने पूछा

“ आज भारत सरकार ने बहुत दिनों बाद एक सही कदम उठाया है”

“ऐसा क्या कर दिया तुम्हारी भारत सरकार ने?”

“उसने सोशल मीडिया के दुरुपयोग रोकने के लिए नये नियम बनाने की घोषणा की है”

“ क्या कोई नया मीडिया शुरू हुआ है?”

“ अरे भाई तुम सोशल मीडिया भी नहीं समझते. जिसका मतलब होता है फेसबुक, व्हाट’स एप्प, इंस्टाग्राम, ट्वीटर आदि “

“ इतनी बात तो आजकल बच्चे भी समझते हैं, और बच्चे ही ज्यादा समझते हैं, पर ये सब तो बहुत पुराने हो गये हैं”

“ हाँ उन्हीं पर तो जो सामग्री आ जा रही थी, उस पर नियंत्रण करने के लिए ही तो ये नियम बनाये जा रहे हैं”

“ अर्थात अब सूचनाओं के सम्प्रेषण पर सरकार का नियंत्रण रहेगा”

“ हाँ भाई हाँ इससे समाज में विकृति फैलाने वाली, देशद्रोही सामग्री पर नियंत्रण लग सकेगा” 

“ तो ऐसी सामग्री की सूची भी बनेगी, जिसे सरकार बनायेगी, या उसके द्वारा नियुक्त समिति बनायेगी जैसी किसानों के मुद्दे पर समिति गठित की गयी थी। फिर विपक्ष के हाथ से बचा खुचा मीडिया भी छिन जायेगा और आदतन यह सरकार विपक्ष की हर आवाज को देशद्रोही कह कर दबा सकेगी। कोर्ट के पास जाने का मतलब यही होगा कि – खाक हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक। अन्धभक्तों के लिए तो मोदी और अमितशाह ही देश हैं और उनकी आलोचना का मतलब ही देशद्रोह होता है। “

“ तुम जानते नहीं हो कि सोशल मीडिया पर कैसी कैसी गन्दी फिल्में और वीडियोज चलते हैं”

“हाँ वे भी चलते होंगे, पर उनके लिए तो बहुत पहले से कानून बनाने के विकल्प खुले हुए थे, और कर्नाटक में तो माननीय विधायक गण ऐसे वीडियोज देखते हुए कैमरे की आँख से देखे गये थे, जिन्हें आजतक कोई सजा नहीं मिली।“

“ तो तुम चाहते हो कि ऐसा कोई नियम कानून ही नहीं बने?” रामभरोसे ने तैश में आकर पूछा।

“ ऐसा नहीं, पर यह तो देखना होगा कि यह कानून जिस वर्तमान सरकार के हाथों में जायेगा, उसका चरित्र क्या है, वह इसका कैसा उपयोग करेगी? अगर सरकार ईमानदार होती तो शुरू के वर्षों में ही ले आती, और इसकी जाँच 2011 से करती। सोशल मीडिया के दुरुपयोग का प्रारम्भ किसी ने तो किया होगा! सब जानते हैं कि गाँधी से लेकर नेहरू समेत आज़ादी के सिपाहियों के झूठे किस्से किसने चलवाये! राहुल गाँधी को पप्पू बनाने और काँग्रेस को भ्रष्ट बताने में इसी सोशल मीडिया का हाथ था जिसे भाजपा का आईटी सैल ही चलाता था। जब प्रिंट मीडिया बिक गया था तो सरकार की सच्चाई सामने लाने वाला यही मीडिया था। सोशल मीडिया ने ही राजनीतिक सच्चाई को सामने रख कर किसान आन्दोलन को दुनिया का सबसे बड़ा आन्दोलन बनाया।“

रामभरोसे का ऊँट की तरह ऊपर उठा मुँह, गधे की तरह लटक गया था। 

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