गुरुवार, 25 फ़रवरी 2021

व्यंग्य गया साल , नया साल

 

व्यंग्य

गया साल , नया साल

दर्शक

एक साल में दो साल नहीं रह सकते, इसलिए एक को विदा करने के बाद ही दूसरा आता है। जब लोग रामराज्य की जी खोल कर प्रशंसा करते हैं, उससे ही पता चलता है कि उनके पिता द्वारा छोड़ा गया राज्य कितना खराब रहा होगा जिसे उनके बाद पादुकाओं के राज्य ने और सत्यानाश कर दिया होगा। वो तो जब उस सिंहासन पर राम चन्द्र जी विराजमान हुये तब वह शासन शुरू हुआ जिसे रामराज्य कहते हैं, ऐसा पौराणिक आख्यान है। गोस्वामी तुलसीदास जी तो कह गये हैं कि-

दैहिक दैविक भौतिक तापा

रामराज्य नहिं काहुहि व्यापा

अर्थात इस राज्य के बाद कोई ऐसी वैक्सीन खोज कर सबका टीकाकरण कर दिया गया था कि किसी को कोई दैहिक ताप ही नहीं व्यापा। वैक्सीन भी कम्पलसरी रही होगी। जब छूत के रोग फैलते हैं तो शतप्रतिशत टीकाकरण अनिवार्य हो जाता है, बरना बचे हुओं का रोग टीकित लोगों तक पहुंच सकता है। हमारे बचपन में चेचक का टीका करण प्रारम्भ हुआ था तब छात्रों ने टीकों से बचने के नये नये तरीके ढूंढ निकाले थे। अगर पता चल जाता था तो कई बच्चे स्कूल ही नहीं आते थे। जो घर से स्कूल के लिए निकलते थे वे घर और स्कूल के बीच में जाने कहाँ चले जाते थे कि दिल्ली से भेजे सरकारी रुपये का 15% ही पहुंच पाते थे। कुछ तो इतने जोर जोर से रोने लगते थे कि पूरा स्कूल थर्रा जाता था। एक बार तो एक बच्चे ने डर के मारे अपना पेंट और स्कूल की फट्टी दोनों ही गीली कर दी थीं। सुना है कि कोरोना का टीका आ गया है और उसका प्रयोग किया जा रहा है। कुछ लोग सोचते हैं कि प्रयोग दूसरों पर हो और सफल हो जाने पर सबसे पहले हमें लगे। बड़े बड़े नेता वैक्सीन लगवाते हुए फोटो खिंचवा रहे हैं, किंतु उन पर से भरोसा इतना कम हो गया है कि लोग सोचते हैं कि क्या पता विटामिन ‘बी काम्प्लेक्स’ का टीका लगवा के वैक्सीन का बता रहे हों। पिछले दिनों ‘आरोग्य सेतु’ के विज्ञापन कराये गये थे और बड़ी बड़ी सैलीब्रिटीज को झौंका गया था, किंतु देर सवेर उनमें से अनेक नेता कोरोना संक्रमित पाये गये थे। सैलीब्रिटीज खुद भी अस्पताले के बैड से फोटो भेज रह थे। बीमारी ऐसी फैली कि आरोग्य सेतु के सारे बैनर पोस्टर आदि तक खा लिये गये।

पहले तो देश के स्वास्थ मंत्री ने कहा कि यह मामूली सर्दी जुकाम है, पशुपालन मंत्री ने कहा कि गरमी आते ही सारा वायरस मर जायेगा। न.प्र, के प्रोटैम स्पीकर ने तो घोषणा कर दी थी कि 5 अगस्त को राम मन्दिर का शिलायांस होते ही सारा वायरस खत्म हो जायेगा। पर कुछ भी नहीं हुआ। लोग लगातार अस्पताल में जाते रहे और पीपीई किट में लिपटे वपिस आते रहे। मुल्ला, पंडित, आदि को चिंता सताने लगी कि बचे भी रहे तो उनकी दुकान का क्या होगा, खायेंगे क्या! लाक डाउन में आमदनी दस प्रतिशत रह गयी थी और भगवान पर भरोसा ज़ीरो परसेंट। कोरोना ने धर्म की दुकानों का भट्टा बैठा दिया। फेसबुक में हर तीसरी पोस्ट किसी  के मरने की होती है। विनम्र श्रद्धांजलि के टैम्प्लेट बन गये हैं, फोटो देखे और चिपका दिये। कई बार तो किसी के जन्मदिन के अवसर पर प्रकाशित पर भी विनम्र श्रद्धांजलि चला जाता है।

अब ऐसे में नये साल की शुभकामनाएं कैसे दें! यही दुआ करके निकाल दिया कि इस बीस का उन्नीस भले निकल जाये पर इक्कीस ना हो।                            

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