व्यंग्य
बेचो, बेचो, बेचो और
खेंचो, खेंचो, खेंचो
दर्शक
शेखीबाज रामभरोसे ने दुकान खोली थी। उद्घाटन के छह महीने बाद मिला। मैंने पूछा
और क्या हाल है तो शायरी करने लगा। बोला –
कुछ इस तरह से आपने पूछा मिरा मिजाज
कहना पड़ा कि शुक्र है परवरदिगार का
वो तो ठीक है, पर दुकान चल तो रही है? मैंने पूछा
उत्तर में वह फिर भावुक हो गया और बोला कि ‘पहले तो चली.....’
जब उसका पाज लम्बा हो गया तो मैंने फिर पूछा ‘ और अब?’
‘अब बिल्कुल चली गयी है।‘ उसने लम्बी सांस खींच कर कहा।
‘ क्यों, क्या बिक्री नहीं हुयी?
‘हुयी! पहले घर का टीवी बिका, फिर फ्रिज बिका, फिर कार बिकी और अब घर के बिकने
की बारी है।‘ वह बोला
‘और दुकान का सामान’ ?
‘उसे तो दुकान के मालिक ने किराये की वसूली में नीलाम कर दिया।‘
नीलामी के बाद हिसाब तो हुआ होगा? उसमें क्या हुआ।
‘हिसाब भी हुआ, और मुझे तीस हजार और देने हैं।
मुझे दुख और गुस्सा एक साथ आया। इसको समझाया था कि तुमसे नहीं होगा। पर कहने
लगा था कि क्यों नहीं होगा! अब तो नसीब वाला प्रधानमंत्री आ गया है, जिसके खून में
व्यापार है, और जिसका सीना 56 इंच का है। ऐसे में नहीं होगा तो कब होगा। स्टार्ट
अप का बटन दबाते ही गाड़ी स्टार्ट होकर फर्राटे भरने लगेगी।
एक बार एक जंगल का प्रधानमंत्री एक बन्दर चुन लिया गया था। एक हिरन उसके पास
कोई आवेदन लेकर पहुंचा तो उसने उसे पढने का पूरा नाटक किया। फिर इस डाल से उस डाल
पर, उस डाल से इस डाल पर छलांगें लगाने लगा, जैसे इस देश से उस देश पर और उस देश
से इस देश पर जा रहा हो। जब हिरन को देखते देखते बहुत देर हो गयी तो उसने कहा कि
हुजूर मेरे काम का क्या हो रहा है।
बन्दर ने और एक छलांग लगायी व किसी उपदेशक संत की तरह और ऊंची डाल पर बैठ गया।
बोला गीता में भगवान ने कहा है कि कर्म किये जाओ, फल की चिंता मत करो। सो देखो,
मैं कर्म कर रहा हूं। अब मेरे प्रयास में कोई कमी हो तो बताओ! परिणाम की चिंता मत
करो।
दस प्रतिशत जीडीपी बढने की बात थी. पर उल्टे चौबीस प्रतिशत घट गयी है और तीस
प्रतिशत तक घटने का अनुमान है अर्थात कुल चालीस प्रतिशत के अंतर के साथ देश चल रहा
है। हमारी वित्त मंत्री के अनुसार सब कुछ एक्ट आफ गाड है। अगर संयोग से कुछ अच्छा
हो जाये तो ये मोदी के नसीब के कारण होरहा है और जो भी बुरा हो रहा है वह भगवान की
करतूत है। हाँ मोदी मित्र जो प्रधानमंत्री की पीठ पर वरद हस्त रख कर कभी कभी फोटो
खिंचवाते रहते हैं, की सम्पत्ति जरूर तीन प्रतिशत बढ गयी। बेरोजगार मजदूर और युवा
मुँह पर मास्क बाँध कर थाली बजा रहे हैं और पुलिस उन पर लाठा बजा रही है। जय हो।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें