व्यंग्य
कृषि कानूनों की वापिसी और तपस्या में कमी
दर्शक
एक दिन अचानक 56 इंची सीने ने महसूस किया कि उसकी
तपस्या में कुछ कमी रह गयी थी, जिससे वह किसान भाइयों को उनके भले के लिए लाये गये
तीन कृषि कानूनों के महत्व को समझा नहीं सके। इस जगतगुरु देश को शिक्षा देने और
समझाने के लिए गुरु की तपस्या का नया प्रयोग सुनने को मिला क्योंकि सीखने वालों की
तपस्या की बात तो समझ में आती है पर सिखाने वालों को तपस्या करना पड़े ऐसा कभी नहीं
सुना था। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आगे स्कूली शिक्षा विभाग अध्यापकों की जगह
तपस्यिओं की भरती करना शुरू कर सकता है। छात्रों को तिलक लगा कर प्रवेश देने की
शुरुआत तो हो ही चुकी है। इतिहास और समाज शास्त्र के पाठ भी बदले जा चुके हैं अब
अध्यापकों की तपस्या भी शुरू हो जायेगी।
स्कूल इंस्पेक्टर इंस्पेक्शन पर आयेगा और नोटिस
देकर चला जायेगा कि गुरुजी स्कूल में तपस्या करने की जगह मोबाइल में चैटिंग करते
हुए पाये गये, इन पर उचित कार्यवाही की अनुशंसा की जाती है। हैड मास्टर के बारे
में बताया गया कि वह तपस्या के लिए जंगल या पहाड़ की तरफ निकल गये होंगे। इन दिनों
वे स्कूल छोड़ कर उस तरफ ज्यादा जाने लगे हैं। उनकी तपस्या को भंग करने के लिए
मेनका और रम्भा भी जंगल की तरफ जाती देखी गयी हैं। कई बार तो मेनका और रम्भाएं आगे
निकल जाती हैं और तपस्या भंग करवाने के लिए हैड मास्साब खुद ही पीछे पीछे चले जाते
हैं।
लगता है कि 56 इंची सीने की समस्त कार्यप्रणाली
तपस्या करने पर निर्भर है। यह भी लगता है कि नोटबन्दी के मामले में ऐसा ही हुआ
होगा। तपस्या की कमी इस मामले में भी रह गयी होगी, तब ही ना तो काला धन बाहर निकल
पाया और ना ही आतंकवाद समाप्त हो पाया। पन्द्रह लाख की तो बात ही नहीं हो रही
क्योंकि उसे तो जुमला बता दिया गया था। दो करोड़ नौकरियां देने की बात पर भी कहा जा
सकता है कि तपस्या में कमी रह गयी होगी या था यह भी चुनावी जुमला था।
एक के बदले दस सिर लाने में तपस्या की कमी का तो
हाल ही मत पूछो, हर बार झूठ बोल कर काम चलाना पड़ा। झूठ बोलने में भी तपस्या की कमी
रह गयी होगी सो हर बार पकड़ा गया। जब भी झूठ पकड़ा जाता तो जोर शोर से देश भक्ति और
सेना को बीच में अड़ा दिया जाता। सत्य जानने के प्रति उत्सुक लोगों को पाकिस्तान
भेज देने की बातें मीडिया के सहारे ठिलवायी जाने लगतीं। रामभरोसे तो सोचता रह गया
कि कभी ये ज्यादा गुस्से में अमेरिका भेज देने की बात करें तो वह भी सजा पाने के
लिए प्रयास करे क्योंकि उसे बहुत प्रयास के बाद भी वीजा नहीं मिल पा रहा था।
बेचारा अब की बार ट्रम्फ सरकार का नारा लगाने और नमस्ते ट्रम्फ करने गुजरात भी गया
था, किंतु उसकी भी तपस्या में कुछ कमी रह गयी होगी सो कोरोना से पीड़ित होकर लौट
आया था। हाँ तपस्या इतनी जरूर थी कि किसी तरह बच गया।
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