सोमवार, 21 फ़रवरी 2022

व्यंग्य किसानों का भारत बन्द

 

व्यंग्य

किसानों का भारत बन्द

दर्शक

बचपन से ही पढते सुनते आये थे कि –

है अपना हिन्दुस्तान कहाँ वह बसा हमारे गाँवों में

नीरज जी ऐसे ही एक ग्रामीण को सम्बोधित करते हुए कहते हैं-

यह सड़क नहीं

तुम्हारे वास्ते है वह फुटपाथ

जहाँ आलू प्याज और अंडों के छिलके

पड़े हैं अपने आप

इसी फुतपाथ के तुम हो अधिकारी, बस,

क्योंकि तुमने चोरी को छोड़ कर मेहनत स्वीकारी है

हलों की नोक से, कुदाली की चोट से

चट्टानें तोड़ कर धरती संवारी है

इसीलिए कहता हूं, देख कर चलो, ए भाई जरा देख कर चलो,,,,,

गत 27 सितम्बर को उन्हीं गांवों में रहने वाले किसान गाँवों से निकल कर हाई वे पर आ गये और गाँवों ने उन हाई वेओं को जाम कर दिया जो एक महानगर से दूसरे महानगर को जोड़ते थे। ये महानगर जो गाँवों के किसानों द्वारा उगाये गये अनाज से उछलते हैं वे जाम हो गये थे, उनकी कारों के काफिले रुक गये थे। गांवों और किसानों को महानगरी सभ्यता अनपढ समझती है और उनकी सरलता को गंवारपन कह कर हीन दृष्टि से देखती रही है। वे मानते रहे हैं कि इन्हें तो किसी भी तरह से ठगा जा सकता है। भाषा के अभिजात्य से, कुतर्कों से, ताकत से, पुलिस की वर्दी से, और सिर फोड़ देने वाले डंडों से उनसे अपनी बात मनवायी जा सक्ती है। इस बार जब महानगर ने बदमाशी से, धोखे से किसानों को ठगने वले कानून पास करा लिये तो किसानों को विरोध करना पड़ा। वे समझते रहे कि हर बार की तरह वे पुलिस की वर्दी और डंडों से डर जायेंगे, गुस्से में आकर भिड़ जायेंगे तो फिर दमन का बहाना मिल जायेगा।

किंतु जिस गाँधी को उन्होंने तीन गोलियां चलवा कर मरवा दिया था, वह ना जाने कहाँ से पैदा हो गया। किसान बोले हम तो तुम्हारे रास्ते पर जम जायेंगे। तुम कितना भी हमला करो हम सहन करेंगे किंतु डरेंगे नहीं, भागेंगे नहीं। ठंड से, लू से, बरसात से, पानी की बौछारों से सैकड़ों किसानों ने जान दे दी किंतु बदले के लिए डंडे नहीं उठाये। बातचीत के लिए हमेशा तैयार रहे और अपना खाना साथ लेकर गये। खुद भी खया और सरकार के मंत्रियों को भी खिलाया। अपना पानी लाये जिसे डंडे फटकारने वाले पुलिस वालों को भी पिलाया। उन्होंने लाखों लोगों की सभा करके न केवल एकजुटता ही दिखायी अपितु सरकार की सबसे बड़ी ताकत साम्प्रदायिकता को भी हराया। हर हर महादेव के जबाब में अल्ला हो आकबर का नारा लगवाया। बदमाशी के लिए आये हुये गोदी मीडिया से बात करने से मना कर दिया व उसे उल्टे पैरों वापिस होने के लिए मजबूर कर दिया। धैर्य की परीक्षा दी और उसमें पास हुये। दुनिया भर में सरकार की थू-थू हुयी। दुनिया में जिसके भी पास गये उसने धिक्कारा और लिजलिजे मीडिया को गोदी में बैठाने पर व्यंग्य किया।

प्रैसवार्ता करके देश को यह भी नहीं बता सके कि क्या लेकर आये हैं, या फिर अपना सा मुँह लेकर चले आये।  दाढी थोड़ी सी कटवायी नाक ज्यादा कटवायी।

     

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