शुक्रवार, 13 मार्च 2015

जन्मना हिन्दू राष्ट्रवादी

व्यंग्य
जन्मना हिन्दू राष्ट्रवादी
दर्शक  
      भिंडरावाला कहा करता था कि ‘ मैन इज ए बोर्न सिख, इट इस सीजर एंड रेजर व्हिच मेक्स हिम नान सिख’ अर्थात मनुष्य तो जन्मजात सिख होता है, यह तो कैंची और उस्तरा है जो उसे गैर सिख बनाती है।
      मैं जन्मना दिगम्बर पैदा हुआ था इसलिए मुझे दिगम्बर राष्ट्रवादी होना चाहिए जो एक तर्क सिद्ध सच्चाई है। इस सच्चाई के सहारे मैं अपना गोत्र बढाने की अपील कर सकता हूं और बकौल अब्दुल रहीम खानखाना, बढरी अँखिया निरखने जैसा सुख अपनी अँखियों को दे सकता हूं। दुनिया के सारे दिगम्बर पैदा होने वालो, आओ और दिगम्बर पंथ के हो जाओ। सुविधा यह भी है कि जब बाल बढ जायें तो सिख हो सकते हो, और यह भी उतना ही स्वाभाविक होगा। वर्तमान में गुजरात के मुख्यमंत्री तथा भाजपा की प्रचार अभियान समिति के चेयरमैन नरेन्द्र भाई मोदी के तर्क को मानें तो राष्ट्रवाद ऐसे ही परिभाषित होगा। उन्होंने खुद को हिन्दू राष्ट्रवादी बताने का तर्क यही दिया है कि चूंकि मैं जन्मना हिन्दू हूं इसलिए हिन्दू राष्ट्रवादी हूं। शब्दार्थों में उच्चारण का बड़ा महत्व होता है, इसलिए संघ परिवारी दादा कोणकेवादी होते हैं, जो किसी के लिए गिलास को आधा भरा और किसी के लिए गिलास को आधा खाली खाली बता सकते हैं। अब ‘हिन्दू राष्ट्रवादी’ को जब चाहें ‘हिन्दूराष्ट्रवादी’ भी कह सकते हैं। जाकी रही भावना जैसी। पर मोदी टायर के नीचे आने वाले पिल्लो, मोदी को पता है कि उसे प्रभु मूरत कैसी देखनी है।
      राम भरोसे से मैंने पूछा- तुम कौन से राष्ट्रवादी हो? वह बोला कि मैं जन्म से ब्राम्हण पैदा हुआ हूं इसलिए मैं ब्राम्हण राष्ट्रवादी हूं। लगे हाथ मैंने उसकी पत्नी से भी पूछ लेना ठीक समझा और पूछा- भाभीजी आप भी ब्राम्हण राष्ट्रवादी हो?
      ‘भाई साहब मैं तो जन्मना जुझौतिया पैदा हुयी थी इसलिए जुझौतिया राष्ट्रवादी हुयी, पर इन भार्गवों में ब्याही गयी हूं तो अब तो बच्चों की खातिर भार्गव राष्ट्रवादी होना पड़ा है। हम महिलाओं का क्या जन्मना कुछ भी हो पर ........... वे अफसोस भरे स्वर में बोलते हुए तस्लीमा नसरीन हुयी जा रही थीं। वही तस्लीमा नसरीन जिन्हें तृणमूल कांग्रेस की सरकार बन जाने के बाद बंगाल की याद बिल्कुल नहीं आती।
      पर रामभरोसे तो कह रहे हैं कि वे ब्राम्हण राष्ट्रवादी हैं मैंने जिज्ञासा व्यक्त की।
      वे तो जात से गिरते जा रहे हैं, अब भाई साहब आप ही बताइए कि क्या सभी ब्राम्हणों को एक ही तराजू पर तौला जायेगा? क्या अपने गोत्र की ऊंच नीच बिल्कुल ही भूल जायेंगे? अरे जो जन्मना हैं सो हैं, इस तरह से तो ये किसी दिन गोत्र तो क्या जाति भी भुलाने लग जायेंगे, और एस-सी एस-टी का भेद भी भुला देंगे,  ...पर हम तो नहीं भुला सकते, जो जन्मना हैं सो हैं वे तीखे तेवर में बोलते हुए नरेन्द्र मोदी की तरह जाति गौरव से भरी हुयी लगीं।
      जन्मना हिन्दू राष्ट्रवादी नरेन्द्र मोदीजी ने जनता से लोहा लेने की योजना भी बनायी है। यह योजना उस अमेरिका की स्टेच्यू आफ लिबर्टी की मूर्ति से भी बड़ी एक मूर्ति बनाने के लिए बनायी गयी है, जिस अमेरिका ने उन्हें वीसा देने से इंकार कर दिया था। यह मूर्ति फिलहाल लौह पुरुष के रूप में विख्यात उन सरदार पटेल की बनाने का इरादा घोषित किया गया है, जिन्होंने सबसे पहले संघ पर प्रतिबन्ध लगाया था।
      यह लोहा लेना वैसा ही है जैसा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि मन्दिर के लिए ईंटें एकत्रित करने के नाम पर संघ कार्यकर्ताओं से उत्तर भारत के घर घर का सर्वेक्षण कराया था। चुनावी मजबूरियां भी क्या क्या छद्म नहीं करातीं! ज्यादा लोगों से लोहा लेना चुनावी मजबूरी है इसलिए सरदार पटेल की मूर्ति भी बड़ी बनानी पड़ेगी। रामशिला पूजन करने वाले वे ही लोग अब सबके घर लोहा लेने आयेंगे। ये जन्मना हिन्दूराष्ट्र्रवादी जनता से वोट लेने के लिए ईंटें और लोहा ही नहीं लेते, उन्हें धोखा भी देते हैं। रामजन्म भूमि मन्दिर के नाम पर एकत्रित धन का अभी तक कोई हिसाब नहीं दिया और न ही लोहे का हिसाब देने वाले हैं। उन्हें न मन्दिर बनाना था और न ही मूर्ति बनाना है, उनका सपना तो सरकार बनाना है, इसलिए जनता को मूर्ख बनाना है। राम जन्मभूमि मन्दिर के नाम का चन्दा लेकर राघव को कृष्ण जन्मभूमि भेज दिया, अब जनता से लोहा लेकर त्रिसूल और तलवारें ढालेंगे। तुम हमें लोहा दो, हम तुम्हें बंगारू, येदुरप्पा देंगे।  
वीरेन्द्र जैन
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