सोमवार, 16 मार्च 2015

व्यंग्य लक्ष्य प्राप्ति के बाद लक्षद्वीप की ओर



व्यंग्य
लक्ष्य प्राप्ति के बाद लक्षद्वीप की ओर
दर्शक
स्व. कैलाश गौतम का एक दोहा है-
लिए बाल्टा दूध का गये शहर की ओर
दारू पीकर शाम को लौटे नन्द किशोर
अपने चुनाव का लक्ष्य प्राप्त करके मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री लक्षद्वीप की ओर प्रस्थान कर गये हैं। वे वहाँ मध्य प्रदेश में उद्योग की सम्भावनाएं तलाशने नहीं गये हैं। चुनावों में किये गये लाखों युवाओं को रोजगार दिलाने के वादे की उन्हें अभी कोई चिंता नहीं है क्योंकि ‘एक बार फिर शिवराज’ का सपना फिलहाल तो पूरा हो गया है, अब बाकी लोग सपने देखते रहें। चुनाव जीतते ही उन्होंने चीन के व्यापारिक प्रतिनिधि मण्डल से बातचीत की और चीनी कम्पनियों के व्यापार हेतु साँची जैसे द्वार खुले होने के संकेत दिये। इस अवसर पर उन्होंने चीन से सदियों पुराने सम्बन्धों की भूरि भूरि प्रशंसा की इसलिए मध्य प्रदेश में तो चीनी माल मिलेगा तो उद्योग क्यों खुलेंगे!
       जब एक बार नेता को काम मिल जाता है तो वह समझता है कि सबको काम मिल गया। पिछले दिनों हिन्दी के सुपरिचित लेखक कांति कुमार ने एक संस्मरण में लिखा था कि भोपाल में पदस्थापना के दौरान शरद जोशी की सलाह पर उनके एक परिचित टेलर के यहाँ सूट सिलने को दिया तो उस टेलर ने सूट तो सही समय पर सिल दिया पर वह नाप में बेहद ढीला था। उन्होंने जब पहिन कर देखा तो शिकायत की जो टेलर मास्टर को मंजूर नहीं हुयी और उसने उस सूट को खुद पहिन कर दिखाते हुए कहा कि बताइए कहाँ ढीला है? वह सूट टेलर मास्टर को बिल्कुल फिट आ रहा था क्योंकि उनकी देह कांति कुमार जी की देह से नाप में डेढ गुना अधिक थी। प्रदेश में शिवराज को रोजगार मिल जाने के बाद वे समझते हैं कि सबको रोजगार मिल गया। यही कारण है कि दो स्थानों से चुनाव जीतने के बाद एक का त्याग करके मुख्यमंत्री नये वर्ष की छुट्टियां मनाने सपरिवार लक्षद्वीप चले गये। दिन रात देश देश चिल्लाने वालों को जब भी मौका मिलता है वे विदेशमुखी हो जाते हैं। भले ही विदेशवालों को बताते हैं कि एमपी गज़ब है सबसे अज़ब है, पर इस गज़ब अज़ब से दूर खुद छुट्टियां विदेश में मनाते हैं। छुट्टियां मनाने के मामले में अटलजी की भी वह सबसे प्रिय जगह रही है।
       अभी मुख्यमंत्री की छुट्टी नहीं हुयी है पर ये छुट्टी नव वर्ष मनाने के लिए उन्होंने ली है।
       कौन सा नव वर्ष?
       अरे ये कौनसा क्या, यही ग्रेगेरियन कलेन्डर वाला नव वर्ष एक जनवरी से शुरू होने वाला 2014 । हैप्पी न्यू इयर। अब इस बात को छोड़ो कि वे जनता को हिन्दू नववर्ष संवतसर मनाने के लिए बड़े बड़े बैनर लगवाने वालों को जोर शोर से गले लगाते रहे हैं और अंग्रेजी नववर्ष पर पार्टी करने वाले युवाओं को होटलों से निकाल निकाल कर पीटने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होने देते। अटलजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के बाद उनके पीएम पद प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी भी छुट्टियां मनाने गोआ चले गये थे। अयोध्या के राम मन्दिर तो केवल कार सेवक जाते हैं जिनमें पिछड़े समुदाय के तनाव ग्रस्त बेरोजगार युवक ही होते हैं, नेताओं के सपूत नहीं होते। लौट कर आने के बाद ये कार सेवक उनकी कारों को धोते पौंछते हैं या चलाते हैं। मध्यप्रदेश सरकार के मंत्रियों की तर्ज पर कई अफसर भी अपने ड्राइवरों को कारसेवक कहने लगे हैं। हैप्पी न्यू इयर सरकारसेवक जी।     

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