सोमवार, 16 मार्च 2015

व्यंग्य देशी और विदेशी का संकट उर्फ नींद क्यों रात भर नहीं आयी



व्यंग्य
देशी और विदेशी का संकट  उर्फ नींद क्यों रात भर नहीं आयी
वीरेन्द्र जैन
       भाजपा का मूल आधार ही देशी और विदेशी पर आधारित है। सभी धर्म कहते हैं कि ईश्वर एक है और वह हमारी तरह की पूजा पद्धतियों से ही मिलेगा। कुछ पूजा पद्धतियां हमारे देश में विकसित हुयी हैं तो कुछ विदेश में विकसित हुयी हैं। भाजपा के लोग देश में विकसित हुयी पूजा पद्धतियों के मुकाबले विदेशों में जन्मी पूजा पद्धतियों को खड़ा करके लोगों को बाँटते रहे हैं भले ही जब ये पूजा पद्धतियां अस्तित्व में आयी थीं तब देशों की वैसी सीमाएं नहीं थीं जो आज हैं, और जिन सीमाओं पर पहरा देते देते भरपूर कमीशन खाकर खरीदे गये हथियारों और टैंकों से सुसज्जित हमारे जवान बूढे होते रहते हैं।
       देश उनका माना जाता है जिनका जन्म इस धरती पर हुआ है। इस आधार पर देश सभी देशवासियों का हुआ। पर बँटवारे वालों को तो लोगों को बाँटना होता है। जब केवल जन्मभूमि के आधार पर लोगों में बँटवारा सम्भव नहीं हो सका तो उसके साथ पुण्यभूमि और जोड़ दी जिससे मुसलमान और ईसाई दोनों ही अलग दिखने लगे। अब कर लो बात। वे कहते हैं कि जिसकी जन्मभूमि और पुणयभूमि दोनों ही भारत में हैं वही सच्चा भारतीय है। धर्मान्धता और अन्धराष्ट्रभक्ति दोनों ही नशे हैं।
        भले ही इस समय दूसरा नशा चर्चा में है पर इससे भी देशी और विदेशी का भेद नहीं छूट सका। हमारे मध्य प्रदेश, जिससे आशय राज्य से है मेरे पेट से नहीं, में चुनावों के बाद फिर से भाजपा सत्तारूढ हो गयी। अब सत्ता में आने के लिए सार्वजनिक मंचों पर कुछ तो झूठे वादे करना ही पड़ते हैं सो हमेशा की तरह इस समय भी हमारे मुख्यमंत्री ने किये थे। इन वादों में से एक था, कि पहले ही बहुत हो गयी हैं इसलिए अब कोई नयी शराब की दुकान नहीं खोली जायेगी। पर चुनाव के बाद चुनाव के सहयोगियों को सार्वजनिक वादों से क्या मतलब सो उन्होंने उन वादों की याद दिलाना शुरू कर दी जो व्यक्तिगत रूप से किये गये थे। दोनों वादों के बीच समन्वय बिठाने के लिए उन्होंने देशी शराब की दुकानों में विदेशी शराब बेचे जाने का फैसला ले लिया। विडम्बना यह है कि मंत्रिमण्डल में सभी तो विदेशी वालों के पक्षधर नहीं सकते, कुछ तो देशी के दीवाने भी होते हैं सो उन्होंने देशी विदेशी के मिलन का विरोध कर दिया। मुख्यमंत्री ने प्रस्ताव तो पास करा लिया, पर उसके बाद उन्हें रात भर नींद नहीं आयी। संस्कार आड़े आ रहे थे कि देशी और विदेशी का ऐसा मिलन? तोबा तोबा तोबा। अगर शराब का मिलन हो गया तो हो सकता है कल के दिन धर्मों का होने लगे। सो सवेरे उठ कर फैसला पलट दिया।
       अगर उन्हें रात में नींद आ गयी होती तो देशी की दुकानों पर विदेशी खुल कर भी मिल रही होती जिसके लिए गाँव के सम्पन्न किसानों को कभी कभी थोड़ा दूर तक जाना पड़ता है। वैसे जिस तरह पैट्रोल के लिए पैट्रोल पम्प तक जाना जरूरी नहीं होता वैसे विदेशी शराब के लिए हमेशा उसकी दुकान तक जाना जरूरी नहीं होता है, वह वैसे भी कई देशी ठेकों से लेकर सड़क किनारे के सारे ढावों में मिल जाती है। पिछले ठेकों से बीस प्रतिशत राशि बढाने से पहले ठेकेदार कलैक्टर एसपी से तय कर लेता है कि वह दुकानों के अलावा इतनी जगहों से और बिकेगी और उस के लिए कोई छापा नहीं मारा जायेगा, अधिकारी पूरे साल अपना वचन निभाते हैं। सत्तारूढ नेताओं के सारे चमचे जो सट्टा या जुआ नहीं खिलाते वे दारू ही बेचते हैं, क्योंकि पुलिस उन पर कार्यवाही नहीं कर सकती। और तो और कई अखबारों के ब्यूरो चीफ भी लोगों को अपने निकट के आफिस में रखे स्टाक से बेच कर जनता का पैट्रोल बचाते हैं ताकि उन्हें दूर तक नहीं जाना पड़े। इन दिनों मीडिया मीडिएटर की भूमिका भी निभाने लगा है। देश के वीर जवानों को जो सस्ती मिलती है वे भी अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से बिना ज्यादा मुनाफा लिये आदान प्रदान करते हैं। सैनिकों के लिए दिखने वाले सम्मान के पीछे इस सुविधा की भी बड़ी भूमिका रहती है। प्रदेश में उपलब्ध इतनी सुविधाओं की जानकारी मुख्यमंत्री को न हो ऐसा नहीं हो सकता। प्रदेश में जो भी पुलिस की पूछताछ से मुक्त है वह दारू ही बेच रहा है। 
       डम्पर कांड के बाद यह दूसरा अवसर था जब मुख्यमंत्री की उड़ी हुयी नींद सार्वजनिक विषय बनी। वैसे व्यापम घोटाले के प्रकाश में आने के बाद नींद आयी थी या नहीं यह अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ।
वीरेन्द्र जैन
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