मंगलवार, 17 मार्च 2015

व्यंग्य बच्चे पैदा करवाने में लगे बाबा



व्यंग्य
बच्चे पैदा करवाने में लगे बाबा
वीरेन्द्र जैन
ऐसा लगता है कि सारी दाइयाँ हड़ताल पर चली गयी हैं व तीसरे जेंडर का दर्जा मिल जाने के बाद सारे किन्नर चुनाव लड़ने की तैयारी में लग गये हैं इसलिए बच्चे पैदा कराने और बधाई गाने की जिम्मेवारी खुद को साधु साध्वी के रूप में प्रदर्शित करने वाले लोगों पर आ गिरी है। अभी तक ये लोग बच्चा मांगने आने वालों को यही बताते थे कि  बच्चे ऊपर वाला देता है और वे तो कभी कभी उसका आशीर्वाद गुपचुप तरीके से देने का निमित्त बन जाते थे। पर जब से ऐसे ज्यादातर निमित्त जेल में इलाज के बहाने आराम फरमाने चले गये हैं तब से बाहर वाले बाबाओं पर बड़ी जिम्मेवारी आ गयी है। अब हर बाबा तीन या चार या पाँच बच्चे पैदा करवाने में लग गया है। इतने ईमानदार हैं कि अपने कमीशन के रूप में कुल एक बच्चा मांग रहे हैं। अब चार के हिसाब से 25 प्रतिशत ही हुआ।  
बहरहाल एक बात तो तय हो गयी कि उन्होंने ऊपर वाले को सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान मानने पर विश्वास खो दिया है और यह मानने लगे हैं कि ऊपर वाले की नसबन्दी नीचे वालों ने कर रखी है। ये नीचे वाले जब चाहें जितने बच्चे पैदा कर सकते हैं या नहीं कर सकते। इसलिए बाबा अब ऊपर वाले से प्रार्थना नहीं कर रहे कि सबको चार चार बच्चे दे दो प्रभु। अब वे नीचे वालों को ही धीरे से सलाह दे रहे हैं कि अरे यार क्या हम दो हमारे दो पर अटके पड़े हो चार तो करो।
विरोधी चाहे कुछ कहें पर नई सरकार विकास के एजेंडे पर ही काम कर रही है। अरुण शौरी जैसे लोग भले ही कहते रहें कि बर्तन खनकने की आवाज भर आ रही है पर खाना नहीं आ रहा है लेकिन सरकार अपने तरीके से विकास कर रही है, भले ही म्युनिसिपिल्टी की तरह कर रही हो। अब दो बच्चों से चार तक पहुँचे हैं तो शतप्रतिशत विकास हुआ या नहीं? मेक इन इंडिया के लिए जब दुनिया भर के लोगों को सस्ते श्रम की दम पर आमंत्रित कर रहे हैं तो श्रमिकों को तो पैदा करवाना ही होगा।
रामभरोसे इस आवाहन पर खुश हो गया। बोला ये हुयी न बात ।
मैंने कुरेदा- ये क्या बात हुयी?
बोला हमारी सरकार ने रोजगार का बादा किया था सो देखो सभी हिन्दू भाइयों को गृह उद्योग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
तो क्या बच्चे माल हैं? मैने पूछा
और नहीं तो क्या! सरसंघ चालक पहले ही हिन्दुओं को माल बताते हुए कह चुके हैं कि अपना माल वापिस ले रहे हैं। इसमें किसी को क्या! अब अपने अपने गृह उद्योगों में ज्यादा माल पैदा करने का आवाहन साधु साध्वियां कर रहे हैं।    
चलो मान लिया कि हिन्दू साधुओं के आशीर्वाद से हिन्दू परिवार में पैदा हुआ बच्चा हिन्दू कहलायेगा, लेकिन कानून में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करता हुआ अगर वह ईसाई या मुसलमान बन गया या बौद्ध बन गया तो क्या उदित राज रोक लेंगे?
इसीलिए तो पहले धर्म परिवर्तन कानून लागू करने की बात की है। अपना माल वापिस लेने में कोई कानून नहीं और अपना माल बाहर गया तो कानून का डंडा अड़ा देंगे।
पर अगर लाड़ली लक्ष्मी जन्मी और उसने किसी शाहनवाज या मुख्तार अब्बास से निकाह कर लिया तो क्या होगा?
राम् भरोसे सोच में पड़ गया और बोला शायद हम फिर लाड़ली लक्ष्मी पैदा ही न होने दें। आखिर है तो सब कुछ हमारे ही हाथ में। शायद लाड़ली लक्ष्मियां इसीलिए कम पैदा हो रही हैं।
एक बात और है। मैंने कहा
क्या?
जब इतने सारे लोग चार बच्चे पैदा करेंगे और एक-एक  बच्चा इन साधु साध्वियों को दे देंगे तो आश्रमों में बहुत सारे बच्चे इकट्ठे हो जायेंगे। इतने बच्चे बड़े होकर क्या बनेंगे?
आसाराम! रामभरोसे ठंडी साँस लेकर बोला और उठ कर चला गया।        
वीरेन्द्र जैन                                                                           
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