सोमवार, 16 मार्च 2015

व्यंग्य बाबा, बाबा और बाबा



व्यंग्य
बाबा, बाबा और बाबा
दर्शक
                अखबार पढते पढते राम भरोसे एकदम से चौंक गया।
‘क्या हुआ? मैंने पूछा
बोला मैंने तो पढा था कि आत्मा न तो जलती है, न कटती है, न मरती है तो फिर वह गिरफ्तार कैसे हो सकती है?
                अरे भाई आत्मा तो गिरफ्तार ही रहती है, तुमने सुना होगा कि जब आदमी मर जाता है तो कहा जाता है कि उसकी आत्मा मुक्त हो गयी, देह का पिंजरा यहीं रह गया- नौ द्वारे का पींजरा ता में पंछी मौन आदि आदि। फिर यही कैद में शांति महसूस करने वाली आत्मा मुक्त होते ही अशांत हो जाती है और उसकी शांति के लिए प्रार्थनाएं की जाती हैं,................. पर तुम्हें अचानक अखबार पढते पढते आत्मा परमात्मा आदि क्यों याद आने लगे? क्या यह सब आज के अखबार में लिखा है? मैं ने अपनी जिज्ञासा बगरायी। 
       अखबार में यह लिखा है कि महाराष्ट्र पुलिस ने साँईबाबा को गिरफ्तार कर लिया है, और जहाँ तक मेरी याददाश्त मुझे धोखा नहीं देती तो कह सकता हूं कि अभी दो साल पहले ही तो उनका निधन हुआ था और उनकी आत्मा सोने चाँदी और नकदी के बड़े बड़े खजाने छोड़ कर जाते जाते अपना शरीर भी यहीं छोड़ गयी थी व उनके तहखानों में रखी अनेकों मँहगी सेंट की शीशियां उदास हो गयी थीं। जिस की देह का अंतिम संस्कार देश के नेताओं की उपस्थिति में कर दिया गया हो उसकी आत्मा गिरफ्तार कैसे हो सकती है? राम भरोसे असमंजस में दिखा।
       अरे भाई अखबार में खबर को पूरा पढा करो केवल शीर्षक पढ कर मत रह जाया करो। ऐसा थोड़े ही है कि जितने काले, सभी बाप के साले- साँई बाबा नाम के सभी चमत्कारी नहीं होते। जो साँईबाबा गिरफ्तार हुये हैं वे दिल्ली के प्रोफेसर हैं और नक्सलवादियों के सहयोगी होने के सन्देह में गिरफ्तार हुये हैं।
       अरे यह तो मैंने पढा ही नहीं! आजकल बाबाओं की खबर देखता हूं तो लगता है कि किसी अपराध में  गिरफ्तारी ही हुयी होगी! बहुत दिनों से आसाराम और उनके सपूत की कोई खबर नहीं मिली आजकल जेल में ही सत्संग कर रहे हैं या आश्रम में पहुँच गये हैं?
       आसाराम तो अभ्यस्त हो गये हैं पर बाबा रामदेव यादव के अच्छे दिन आने वाले हैं आखिर रामराज उर्फ उदितराज के बयान उन्हें कब तक बचायेंगे अगर मायावती कुपित हो गयीं और दलित उत्पीड़न का कानून लागू काम करने लगे, तो उनका हनीमून भी जेल में मनेगा
       पर ये आचार्य धर्मेन्द्र कौन हैं?
       हाँ ये भी इसी श्रेणी के राजनीतिक आचार्य बाबा हैं
       इन्होंने तो उपदेश दिया है कि जो ईश्वर में भरोसा नहीं करते उन्हें गोली मार देना चाहिए
       वे तो देश की वल्दियत भी बदलने के प्रति आतुर हैं और कह रहे हैं कि वह डेढ पसली का आदमी राष्ट्र पिता नहीं हो सकता।     
       मेरे इस देश को बाबाओं से कौन बचायेगा? ये बात राहुल बाबा भी नहीं जानते।

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