मंगलवार, 17 मार्च 2015

व्यंग्य ओबामा का स्तीफा



व्यंग्य
ओबामा का स्तीफा
दर्शक
       व्हाइट हाउस में वह काली रात थी जब अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा ज़िद पर अड़े हुये थे और मिशेल ओबामा उन्हें मनाने की हर चन्द कोशिश कर रही थीं।
‘मैं तो दे ही रहा हूं’ उन्होंने फिर कहा
देखिए यह किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं है’ मिशेल बोलीं
‘क्यों ठीक नहीं है, तुम्हें हिन्दी फिल्में देखने का शौक नहीं इससे तुम्हें पता नहीं है कि उनमें एक दोस्त दूसरे दोस्त के लिए क्या क्या नहीं कर देता, संगम, याराना, शोले, और न जाने कितनी फिल्में दोस्ती पर बनी हैं और तो और खुद दोस्ती नाम से भी फिल्म बनी है। मेरी दोस्ती मेरा प्यार, यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िन्दगी, बगैरह ढेर सारे गाने मौजूद हैं, कहो तो सुनाऊँ जैसा कि मैंने हिन्दुस्तान से विदाई लेते समय सुनाया था’ ओबमा बोले।
मिशेल ने हिन्दुस्तानी बीबियों और माँओं की तरह डाँटते हुए कहा-‘ तुम मोदी की दोस्ती में बहुत बिगड़ते जा रहे हो, हिन्दी फिल्में देखने लगे हो’ हिन्दुस्तान में हर बीबी और माँ को लगता है कि उसका पति और बेटा तो ठीक है पर उसकी सारी बुराइयों की जड़ उसके दोस्त हैं।
‘देखो मिशेल तुम्हें और मोदी दोनों को हिन्दुस्तान की संस्कृति के बारे में कुछ भी पता नहीं है, वहाँ दोस्त जैसा कुछ भी नहीं होता था। वहाँ भाई होता था, बाप होता था , दादा होते थे, चाचा होता था, ताऊ होते थे, यहाँ तक कि साला, जीजा, मामा, फूफा, बगैरह होते थे पर वे रिश्तेदार होते थे, जाति के लोग होते थे, दोस्त कोई नहीं होता था। दोस्ती तो हिन्दुस्तान में नया विचार है, और अगर किसी ने मुझे दोस्त कहा है तो उसके लिए मैं जान भले ही न दूं, पर स्तीफा तो दे सकता हूं ओबामा ने समझाया।
‘पर वो हिन्दुस्तानी सलाहकार तो बता रही थी कि हिन्दुस्तान में पुराने जमाने में श्री किर्शना का एक फ्रेंड होता था सुडामा’ मिशेल बोलीं
‘ओह नो मिशेल, वो उसका फ्रेंड नहीं होता था, वो सहपाठी था, क्लासफैलो जिसे गुरुभाई भी कहते हैं, फ्रेंड होते तो वहाँ फ्रेन्डशिप डे मनाया जाता जबकि वहाँ सिस्टर डे होता है जब बहिन भाई को धागा बाँधता है, करवा चौथ होता है जब वाइफ हस्बेंड के लिए फास्ट करता है, डैड फादर मदर के लिए भी डे होता है, गुरू यानि टीचर का भी डे होता है, पर फ्रेंड के लिए कोई डे नहीं होता था। फ्रेंडशिप तो अंग्रेजों के जाने के बाद शुरू हुआ है और मोदी उसकी इज्जत कर रहा है, हाय कितना प्यारा लगता है जब वह कहता है- बराक माई फ्रेंड। हमें भी उसका वैसा ही जबाब देना चाहिए’     
‘चलो माने लेते हैं, पर उसकी पार्टी का एक राज्य के एक चुनाव में सूफड़ा साफ हो जाने से तुम क्यों स्तीफा दे रहे हो, उसकी पार्टी के चुनाव प्रचारक दें, राज्य के अध्यक्ष दें, जिलाओं के अध्यक्ष दें, राष्ट्रीय अध्यक्ष दें, प्रवक्ता दें मुख्यमंत्री पद प्रत्याशी दें और अधिक से अधिक खुद मोदी दे दें जिन्होंने धुंआधार प्रचार किया था, पर आप क्यों दे रहे हैं
‘तुम नहीं समझोगी दोस्ती का मतलब, उसने मुझे भीगती बरसात और हाड़ कंपाने वाली सर्दी में गणतंत्र दिवस समारोह में इसी कारण से तो मुख्य अतिथि बनवाया था। मेरी बराबरी करने के लिए इतनी बार ड्रैसें बदलीं जितनी तो मलाइका अरोरा ने ‘डाली की डोली’ के एक गाने में नहीं बदलीं, और वह नौलखा सूट जिसमें सोने की धारियों से उसका नाम बुना गया था। क्या कहने! कितना हैंडसम लग रहा था मेरा मोदी फ्रेंड। उसने जो काम वर्षों पहले छोड़ दिया था उसे फिर से किया और मेरे लिए चाय बनायी, तथा बार बार मुझे मेरे पहले नाम से बराक बराक कह कर बुलाया-। जब ऐसा फ्रेंड संकट में है तो उसे अकेला कैसे छोड़ दूं अब वहाँ ऐसी पार्टी सत्ता में आ गयी है जो लोकयुक्त बना कर उसे धन देने वालों को नहीं छोड़ेगी, इसी दौरान स्विस बैंकों के नाम उजागर हो गये जिन्हें पिछले आठ –नौ महीनों से सरकार दबा कर रखे हुये थी ’
ओबामा अवसाद में हैं, वे सोच रहे हैं कि उनके कारण ही उनके मित्र को नीचा देखना पड़ा इसलिए स्तीफा दे ही देना चाहिए दूसरी ओर मिशेल परेशान हैं कि अगर स्तीफा दे दिया तो मेरा क्या होगा, इधर भाजपाई सोच रहे हैं कि अच्छा बदला लिया। खाँसने वाले ने नाक में दम कर दिया है और ये मीडिया वाले चैन नहीं लेने दे रहे हैं। और लाओ किरन बेदी को जो बलिवेदी साबित हुयी हैं।

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