सोमवार, 16 मार्च 2015

व्यंग्य राजनीति में शाही दवाखाना



व्यंग्य
राजनीति में शाही दवाखाना
दर्शक
       राजनीति में आजकल शाही दवाखाना की सम्भावनाएं बहुत बढ गयी हैं। जो लोग भी पुराने समय के अखबारों, रेलवे स्टेशनों, और दीवारों पर विज्ञापन पढने के अभ्यस्त रहे हैं, वे एक ऎंठी हुयी मूछों वाले बलिष्ठ से पुरुष को गरदन उठाये देखते रहे होंगे जिसके नीचे मोटे मोटे अक्षरों में शाही दवाखाना लिखा रहता था और शादी के पहले और शादी के बाद अवश्य ही मिलने की सलाह दी गयी होती थी। बाद में तो बाज़ार के घर घर तक पहुँचने से विज्ञापनों की इतनी बाढ आयी कि लोग यह भी भूल गये कि दाद खाज खुजली की एकमात्र दवा ज़ालिम लोशन हुआ करती थी, और बन्दर छाप लाल दंत मंजन का किसी वानरदल से कोई सम्बन्ध नहीं होता था अपितु वह दाँतों को सफेद और मुँह को लाल करता था।
       कांग्रेस में खुर्शीद जैसे लोग आजकल अम्बानी की गैस की कीमतों पर कोई बात नहीं करते अपितु मोदी के पुरुषत्व पर बयान देते हैं। बदले में अम्बानी के दूसरे साझीदार भाजपा वाले मोदी के पुरुषत्व का बखान करने पर उतर आते थे। देश भर में फैल गये शाही दवाखाने वाले प्रतीक्षा करने लगे हैं कि किसी की भी बात सच हो पर ग्राहकी तो हमारी मजबूत होगी। कांग्रेसी कह रहे हैं कि भाजपा के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नामर्द हैं तो भाजपा के अन्धप्रचारक कह रहे हैं कि वे देश में इकलौते मर्द हैं। पता नहीं उत्तर प्रदेश सरकार के आईजी पांडा आजकल कहाँ है जो उस सखी सम्प्रदाय के मानने वाले थे जिसमें कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण एक मात्र मर्द हैं और शेष सब औरते हैं, जिस कारण वे लोग औरतों की तरह श्रंगार करके रहते हैं , चूड़ियां और गहने पहिनते हैं व ओढनी पहिन कर नाचते हैं। मोदी को इकलौता मर्द बताने वाले ये लोग भी सखी सम्प्रदाय में सम्मलित हो गये से लगते हैं, पांडाजी का गोत्र बढ रहा है। कुछ दिनों तक तो अडवाणी और उनके लग्गे भग्गों ने मर्द बनने की कोशिश की थी पर जल्दी ही वे आईजी पांडा की तरह मोदी के पक्ष में नाचने लगे थे। 
       कांग्रेसियों को ऐसा दिव्यज्ञान पता नहीं कहाँ से हो जाता है कि कौन मर्द है और कौन नपुंसक है जबकि ऐसा आरोप तो मोदी की उन कथित पत्नीजी ने भी नहीं लगाया था जिन्हें छोड़कर वे हिमालय पर चले गये थे और बाद में में तीन महीने का पब्लिक रिलेशंस और इमेज मैनेजमेंट का कोर्स करने उसी अमेरिका में भेजे गये थे जो अब उनको वीसा देने के लिए भी तैयार नहीं है। अपने चुनाव घोषणा पत्रों में और परिचय में उन्होंने अपनी वैवाहिक स्थिति का कोई जिक्र ही नहीं किया, और न ही पत्नी की सम्पत्ति की घोषणा करने का कानूनी दायित्व ही पूरा किया। कांग्रेसी उन भाजपाइयों को नपुंसक बता रहे हैं जो जब खुद को नपुंसक बतलाते हैं पर डाक्टरी परीक्षण के बाद जो सक्षम निकलते हैं। राघवजी और संत आशाराम के दावे जब झूठे निकले तो जो लोग मर्द होने का दावा कर रहे हैं उनकी बात से कैसे इंकार किया जा सकता है।
       अगर नहीं भी होंगे तो भी शाही दवाखाने किसलिए हैं !     

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