सोमवार, 16 मार्च 2015

व्यंग्य लौह पुरुष उत्पादन उद्योग



व्यंग्य
लौह पुरुष उत्पादन उद्योग
दर्शक
       वे लौह पुरुष गढते हैं। जैसे माँ बाप बच्चों को डाक्टर इंजीनियर आदि गढते हैं उसी तरह वे लौह पुरुष बनने बनाने का सपना देखते दिखाते हैं। आशीर्वाद देते हुए भी कहते हैं कि तुम ऐसे ही मन लगा कर काम करते रहो तो एक दिन बड़े होकर लौह पुरुष बनोगे।
       पहले उन्होंने लाल कृष्ण अडवानी को लौह पुरुष बनाया था पर कुछ ही वर्षों में उनमें जंग लग गयी, लोहा खराब था। वे जिन्ना को न केवल सेक्युलर मानने लगे अपितु सार्वजनिक रूप से ऐसा कहने भी लगे। लौह पुरुष गढने वाले संघ परिवार में ऐसा नहीं चलता कि जैसा सोचो वैसा ही कहो। सिखाया तो यह गया था कि मन में कुछ और रखो और चेहरे पर कुछ और रखो। संघ प्रमुख ने कहा कि तुम बहुत दिन रह लिए लौहपुरुष अब जगह खाली करो दूसरे इंतज़ार में लाइन लगाये खड़े हैं। देश में छह छह महीने की सरकार चलाने का दुनिया का अनूठा समझौता करने वाली भाजपा लौह्पुरुष के लिए भी समयबद्ध कार्यक्रम बनाती है। बहुत सम्भव है कि जल्द ही भविष्य में घंटों के हिसाब से लौह्पुरुष बनाये जाने लगें, और देर कर देने वाले पर पैनल्टी लगायी जाने लगे। यार पाँच बजे तक का टैम था तो साढे पाँच बजे तक लौह पुरुष कैसे रह लिए? रूल इज रूल। अब बकौल गब्बर सिंह, सजा तो मिलेगी जरूर मिलेगी, और नमक खाया है तो गोली भी खानी पड़ेगी।
       जब अडवानी लौह पुरुष की भूमिका से निकाले नहीं गये थे तब लौह पुरुष की जगह खाली नहीं होने के कारण मोदी को गुजरात में छोटा सरदार कहलवाया जाने लगा था। होनहार बिरवान के होत चीकने पात! 2002 में छोटे सरदार से शुरुआत हो तो 2014 तक बड़े सरदार बन जाने की सम्भावनाएं रहती हैं। मोदी असली सरदार पटेल भले ही न बन पाये हों पर पंजाब में जाकर उधार की पगड़ी पहन कर नकली सरदार जरूर बन गये। 
        सरदार पटेल ने भारतीय रियासतों को भारतीय गणराज्य में मिलाया था और सरदार हुये थे पर मोदी सियासतदानों को खरीद कर सरदार बनने की कोशिश कर रहे हैं। जिस तरह सरदार पटेल की मूर्ति बनाने के लिए लोहा एकत्रित कर रहे हैं उसी तरह वे विभिन्न राजनीतिक दलों से कचरा एकत्रित कर उस पर खड़े होकर प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। एक हजार करोड़ के पीडीएस घोटाले के गीगांग अपांग उत्तरपूर्व से घसीट लिये गये हैं तो अलग कर दिये गये येदुरप्पा को फिर से डाल लिया गया है। भरतियों में लिप्त ओमप्रकाश चौटाले के तो निहोरे ही कर रहे थे पर ऐसे ही आरोप पर सीबीआई के चंगुल में आ गये रामविलास पसवान तो लालू से पगहा तुड़ा कर इनके बाड़े में रंभाने ही लगे। बाबूलाल कुशवाहा को जिस तरह से गले लगा कर उनसे बिछड़ना पड़ा था उसी तरह से कर्नाटक में रेड्डी बँधुओं को जोड़ते जोड़ते रह जाना पड़ा क्योंकि सुषमाजी ने इन्हें आशीर्वाद देकर पार्टी में आलोचना झेली थी। दक्षिण से लिट्टे की समर्थक एमडीएमके से लिपट रहे हैं तो झारखंड में सत्तरह हत्याओं के आरोपी कामेश्वर बैठा को गोद में बैठा लिया है। जेसिकालाल के हत्या के आरोप में सजायाफ्ता मनु शर्मा के पिता विनोद शर्मा भी दरवाजे पर खड़े खड़े लौट गये। तो यूपी बिहारियों को चुन चुन कर मुम्बई में मारने का इरादा रखने वाली शिवसेना या मनसे के बीच में झूल रहे हैं। मध्यप्रदेश में तो कांग्रेस द्वारा भिंड में दूल्हा बना दिये गये प्रत्याशी को ही उठवा लिया। अलगाववाद का खतरा लिए गोरखालेंड आन्दोलन के नेताओं को गले लगा रहे हैं तो सत्ता के लिए भटकती आत्मा उदितराज को तो समेट लिया पर यह ध्यान नहीं दे रहे कि इस अभियान में कहीं नींव के पत्थर न खिसक जायें। 
       कचरे को जोड़ कर कबाड़ी तो बना जा सकता है लौह पुरुष नहीं। Top of Form
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