व्यंग्य
अराजनैतिक साक्षात्कार, अराजनैतिक चुनाव
दर्शक
एक पुराना फिल्मी गीत या कहें कि फिल्मी
कव्वाली थी जिसके बोल थे-
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तुझे मेले में सब देखेंगे, मेला कौन
देखेगा
सो इसी तर्ज पर अगर कोई नेता, जो सबसे बड़े
राजनीतिक दल का ऐसा नेता हो, और जिसने सारे पुराने नेताओं को किनारे लगा दिया हो
और उन्हें कथित मार्गदर्शक मंडल का सदस्य बना कर बिना कभी मार्गदर्शन लिये कह दिया
हो कि अपना मार्ग अर्थात रस्ता देखो, या कहा जाय कि रस्ता नापो। जिसने सारे युवा
लोगों में से चुनने में एक मात्र शर्त यह रखी हो कि वे कितने रीढ विहीन और उसके
प्रति समर्पित हैं। जो देश का प्रधान मंत्री हो, जो दिन में तीन बार पोषाकें बदलता
हो, और जिस का सूट दस लाख का होता हो, जिसे अपनी आत्मस्तुति के अलावा कुछ नहीं
सुहाता हो, जो खुद की विदेश यात्राओं, और पब्लिसिटी में देश का धन फूंकता रहता हो,
वह अगर कहे कि वह गैर राजनीतिक इंटरव्यू एक ऐसे फिल्मी कलाकार को देगा जो कनाडा का
नागरिक हो तो किसको इस इंटरव्यू के अराजनीतिक होने का भरोसा होगा। यह तो वैसे ही
होगा कि भाजपा कहे कि हेमा मालिनी, जयप्रदा, सनी देवल, किरण खेर, मनोज तिवारी,
निरहुआ, रवि किशन, बाबुल सुप्रियो आदि एक राजनेता है, क्योंकि भाजपा के टिकिट पर चुनाव
लड़ रहे हैं तो पूछना पड़ेगा कि इतने सालों से तुम्हारी पार्टी में काम करने वाले
क्या मर गये थे जो इन कलाकारों को चुनाव लड़वा रहे हो। ये अपने आप में सेलिब्रिटीज
हैं जो कोका-कोला बेचते बेचते आपकी भाजपा भी बेचसकते हैं। आदमी का मुख्य स्वरूप
वही होता है जिससे उसकी पहचान होती हो।
अक्षय कुमार के आम खाने के तरीके पूछने,
या पुराने पुराने चुटकलों पर ढीठ हँसी हँसने से पहले तीन चरणों के चुनावों से उपजा
तनाव ढकने में मदद नहीं मिल सकती। कैसी भी नकली हँसी उसे ढक नहीं सकती।
जो इतना तुम मुस्करा रहे हो, क्या गम है
जिसको छुपा रहे हो
मूर्ति पूजकों के देश में छवियों का बड़ा महत्व
होता है , किंतु जिन लोगों ने आपकी मूल छवि देखी हो उनके सामने कितनी भी पोषाकें
बदल कर आ जाओ, उन्हें बचपन का मूल स्वरूप ही याद आ जाता है।
अगर आपको अपने कामों पर भरोसा था तो उम्मीदवारों
की सूची महीनों पहले क्यों नहीं घोषित कर दी. उसे आखिर आखिर तक क्यों लटकाये रखा!
और जब घोषित की तो आपको कौन मिले, प्रज्ञा ठाकुर जो अपने नाम के आगे साध्वी लगा कर
और कपड़ों का रंग भगवा रंगवा कर अपने ऊपर लगे मुकदमों की गम्भीरता को ढकने की कोशिश
करती है, और देश की रक्षा के लिए अपनी जान कुर्बान कर देने वाले उस पुलिस अधिकारी
को शाप देकर मारने का दावा करती है, जिसने उससे सच्चाई जानने की कोशिश की थी।
स्वयंभू साध्वी पर गंगा जमुना की धाराएं नहीं अपितु कानून की धाराए लगी है जिन्हें
चुनाव लड़ते समय स्वयं ही घोषित करना पड़ता है। उन्होंने जो घोषणा की है, उसके
अनुसार उन पर धारा -18 [अनाधिकृत एक्टिविटीज {प्रिवेंसन} एक्ट 1967 एवं सहपठित
धारा 120 बी, धारा 302, 307, 427, 163 [अ] आईपीसी, एवं सहपठित धारा 3,4,5, व 6
इंडियन एक्सप्लोसिव एक्ट 1908 लगी हैं। विधि विशेषज्ञ इनकी गुरुता समझते है। धारा
16 अनलाफुल एक्टविटीज प्रिवेंशन एक्ट सहपठित धारा इंडियन एक्स्प्लोसिव एक्ट
3,4,5,एवं 6 के अंतर्गत हैं। इसमें हत्या
और हत्या की कोशिश भी शामिल है।
मुद्दाविहीन. अराजनीतिक चुनाव है, जिसमें
अराजनीतिक कलाकारों द्वारा अराजनीतिक साक्षात्कार लिये दिये जा रहे हों, वोटरों को
अराजनीतिक समझ कर धर्म, मस्जिद, राष्ट्रवाद. सेना. आदि सब की ओट ली जा रही है।
बुन्देली में एक कहावत है कि जब थाली खो जाती है तो घड़े में भी तलाश की जाती है।
वही तलाश की जा रही है। उनकी थाली खो गयी
है।
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