व्यंग्य
कोरोना का रोना
दर्शक
रामभरोसे ने अपनी उसी बालकनी से जिससे उसने कुछ दिन पहले थाली पीटी थी और दिये
जलाते जलाते पटाखे फोड़ना शुरू कर दिये थे, अपनी दोनों उंगलियों से व्ही का निशान
बनाते हुए चिल्लाया, मैंने विजय प्राप्त कर ली है। सवाल पूछने के लिए मुझे भी
चिल्लाना पड़ा- क्या घर में फिर झगड़ा हो गया था?
उसने गुस्से के तेवर प्रकट करते हुए मुझे घूंसा दिखाया और फिर उतने ही जोर से
बोला- बिल्ली को छीछड़े ही नजर आते हैं। अरे मैंने जुकाम पर विजय प्राप्त कर ली है।
‘ तो इसमें इतना चिल्लाने की क्या बात है?’ यह कहने के लिए मुझे भी चिल्लाना
पड़ा। गनीमत यह है कि कोराना का वायरस ध्वनि तरंगों के सहारे नहीं फैलता बरना सरकार
इस पर भी प्रतिबन्ध् लगा चुकी होती।
‘बात कैसे नहीं है! क्या तुम देख नहीं रहे हो कि जो भी अस्पताल से ठीक होकर
निकल रहा है, उसका विजेताओं की तरह स्वागत हो रहा है, उसके लिए तालियां बजायी जा
रही हैं, उस पर फूल बरसाये जा रहे हैं। अब बीमारी ठीक होने का मतलब उस पर विजय पा
लेना है, भले ही वह जुकाम ही क्यों ना हो!’
‘अरे भाई जुकाम और कोरोना में फर्क है यह छूत के बीमारी है, इससे दुनिया भर
में मरने वालों की संख्या लाख तक पहुंचने वाली है, यह प्लास्टिक और धातु की सतह पर
भी लम्बे समय तक जीवित रहने वाला वायरस है, अगर लापरवाही की तो नगर के नगर साफ हो
सकते हैं, इस बीमारी से ठीक होकर आने वाला विजेता ही होता है’
‘हमें मत टहलाओ, क्या नहीं जानते कि टीबी भी बुरी बीमारी है और देश में आज भी
हर साल इसके 28 लाख मरीज पहचाने जाते हैं जिनमें से चार लाख से ज्यादा को बचाया
नहीं जा पाता। यह बीमारी तो हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल की तरह खाँसी और
छींक से भी फैलती है, पर जब तक यह इसी स्तर पर अमेरिका में नहीं फैलेगी, तब तक तुम
गम्भीरता से थोड़े लोगे। ये बात अलग है कि यह गरीबों से गरीबों को होती है और्
तुम्हारी बीमारी हवाईजहाज से चल कर आयी है और हवाई यात्रियों के द्वारा डाक्टरों,
नर्सों व सुरक्षा देने वाले पुलिस वालों तक को हो गयी है। तुमने इस बहाने लाक डाउन
कर दिया, करोड़ों मजदूरों की नौकरी छीन ली, उनके घर लौटने के रास्ते बन्द कर दिये,
साधन बन्द कर दिये। वे अपनी गृहस्थी सिर पर उठाये, बीबी बच्चों को घसीटते पैदल ही
निकल पड़े, सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर जाने लगे, तो तुमने डंडे बरसाये उन्हें
वायरस मुक्त करने के नाम पर कैमिकल से नहलाया। वे भूखे पेट नालों का पानी पीते हुए
आगे बढे तो जगह जगह रोक लगा कर उन्हें भूखों रखा। अपना नाम करने के लिए कुछ दान
दाताओं ने उन्हें कभी कभी आधा पेट कुछ दे दिया तो दे दिया। किंतु इनमें से किसी को
कोरोना नहीं हुआ, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता हवाईजहाज वालों से ज्यादा थी।
गिरती अर्थव्यवस्थाकी जिम्मेवारी से बचने के लिए सरकार को बहाना मिल गया। ‘ राम
भरोसे बालकनी में था इसलिए उसमें वक्ता की आत्मा प्रवेश कर गयी थी। वह तब ही बन्द
हुआ जब मैं घर में घुस गया।
अगर प्रधानमंत्री की सलाह पर इम्म्युनिटी मजबूत करना है तो इन हवाई यात्रियों
को भूखा रहने और धूप में पैदल चलने की आदत सिखानी होगी। गरीबों में उदयप्रकाश की
कहानी के टेपचू ही टेपचू हैं।
देश भर के अखबारों में, टीवी चैनलों में, रेडियो पर कोरोना ही कोरोना छाया हुआ
था। चुनाव परिणाम वाले सोफ्टवेयर से कोरोना के मरीजों की पहचान, क्वेराइंटीन,
इलाज, आइसोलेशन, ठीक होने और मरने की नगरवार, प्रदेशवार, देशवार आंकड़े दर्शाये जा
रहे थे। इससे भी अलग इसमें जमातियों की संख्या के आंकड़े भी अलग दर्शा कर कम समझ
वालों को यह सन्देश दिया जा रहा था कि यह सब कुछ जमातियों के कारण हुआ है। जबकि हर
तरह के अन्धविश्वासी देश के हर कोने में एकत्रित होते रहे और सोशल डिस्टेंस का
मजाक बनाते रहे।
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